पाकिस्तानी नागरिक शुमायला खान ने नौ साल तक यूपी में टीचर बनकर नागरिकता छिपाई। अब पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब पाकिस्तानियों की वापसी शुरू हुई, तो शुमायला लापता हो गई है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
पाकिस्तानी नागरिक शुमायला खान की भारत में घुसपैठ और फर्जी पहचान के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में शुमायला बीते नौ वर्षों तक शिक्षिका के पद पर कार्यरत रही, जबकि उसकी नागरिकता पाकिस्तानी थी।
कैसे सामने आया शुमायला खान का राज?
बरेली के फतेहगंज पश्चिमी के माधौपुर प्राइमरी स्कूल में तैनात शुमायला खान की असलियत का खुलासा तब हुआ जब लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) ने एक नोटिस जारी किया। वीजा अवधि बढ़ाने के निर्देश के तहत जब जांच शुरू हुई, तब पता चला कि शुमायला एक पाकिस्तानी नागरिक है और सरकारी विभाग में अवैध रूप से नौकरी कर रही है।
इसके बाद जब अधिकारियों ने छानबीन शुरू की, तो यह स्पष्ट हुआ कि उसे 22 जनवरी 1992 को बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी दी गई थी। यह भी सामने आया कि उसके भारतीय दस्तावेज फर्जी थे और उसने अपनी पाकिस्तानी पहचान पूरी तरह छिपाई थी।
पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़ा पाकिस्तान कनेक्शन
शुमायला की मां फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर मूल रूप से बरेली की रहने वाली थीं। उन्होंने 1979 में पाकिस्तान निवासी सिबगत अली से निकाह किया और वहां जाकर पाकिस्तान की नागरिकता ग्रहण की। वहां दो बेटियों—फुरकाना (उर्फ शुमायला) और आलिमा—को जन्म दिया। निकाह के दो साल बाद तलाक के बाद वह बेटियों के साथ भारत लौट आईं और रामपुर में बस गईं।
हालांकि वीजा अवधि समाप्त होने पर 1983 में उनके खिलाफ विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत केस दर्ज हुआ और 1985 में कोर्ट से सजा भी हुई। लेकिन इसके बावजूद, यह मामला वर्षों तक दबा रहा।
बर्खास्तगी के बाद हुई फरारी
शुमायला के पाकिस्तानी नागरिक होने का राज उजागर होते ही उसे तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। एलआईयू की रिपोर्ट के आधार पर फतेहगंज पश्चिमी थाने में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई। लेकिन इसके बाद से ही शुमायला फरार है और उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद फिर आया मामला सामने
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया। इसी क्रम में जब लिस्ट खंगाली गई तो शुमायला खान का नाम फिर से चर्चा में आ गया।
अब यूपी पुलिस और खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश में जुट गई हैं। पुलिस की एक टीम रामपुर में भी खोजबीन कर रही है, लेकिन अब तक शुमायला का कोई अता-पता नहीं है।
शुमायला खान का मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा अलर्ट है कि कैसे नागरिकता छिपाकर कोई व्यक्ति सालों तक सरकारी नौकरी कर सकता है। इस केस ने न केवल शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि भारत में विदेशी नागरिकों की पहचान को लेकर भी गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं।