आज़मगढ़ जिले में एक मुस्लिम युवती ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अपने प्रेमी से मंदिर में शादी कर सबको चौंका दिया। जानिए पूरी प्रेम कहानी और विवाह की विशेष जानकारी।
➡️जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
मुस्लिम युवती ने हिंदू प्रेमी से रचाई शादी, मंदिर में हुए सात फेरे, सदमा बनीं रानी
आज़मगढ़: उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले से एक ऐसा प्रेम प्रसंग सामने आया है, जिसने समाज की पारंपरिक सीमाओं को चुनौती दी है। दरअसल, एक मुस्लिम युवती सदमा नूरी ने अपने हिंदू प्रेमी राजा बाबू प्रजापति के साथ मंदिर में सात फेरे लेकर एक नई जिंदगी की शुरुआत की है। दोनों की यह शादी न केवल चर्चा में है, बल्कि सामाजिक समरसता की मिसाल भी बन रही है।
प्रेम की शुरुआत और धर्म की दीवार
फरवरी 2025 में शुरू हुआ यह प्रेम संबंध धीरे-धीरे गहराता गया। राजा बाबू प्रजापति, जो मुबारकपुर थाना क्षेत्र के निवासी और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के सदस्य हैं, अपनी मोहल्ले की रहने वाली सदमा नूरी को दिल दे बैठे। लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, दोनों के धर्म अलग होने के कारण शादी की राह में कई अड़चनें आईं।
विहिप की सहायता से टूटी धर्म की दीवार
हालांकि, प्यार को मंज़िल दिलाने के लिए राजा बाबू ने अपने संगठन से मदद मांगी। विहिप ने इस प्रेम कहानी को समर्थन देते हुए दोनों के विवाह का मार्ग प्रशस्त किया। इसी क्रम में गुरुवार को पहले कोर्ट मैरिज कराई गई और फिर शिव मंदिर में वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार शादी संपन्न कराई गई।
मंदिर में हुई शादी, सदमा बनीं रानी
पुरानी कोतवाली क्षेत्र स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर में, वैदिक मंत्रोच्चार और अग्नि के साक्षी में, दोनों ने एक-दूसरे को जयमाला पहनाई और सात फेरे लेकर जीवन भर साथ निभाने की कसमें खाईं। इस मौके पर राजा बाबू के परिजन मौजूद रहे, हालांकि रानी (सदमा) के परिवार की अनुपस्थिति साफ महसूस की गई।
संगठन ने निभाई साक्षी की भूमिका
शादी के इस पावन अवसर पर विहिप के गोरखपुर क्षेत्र के प्रांत संयोजक गौरव रघुवंशी भी मौजूद रहे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया,
“राजा बाबू हमारे कार्यकर्ता हैं। उन्होंने जब प्रेम विवाह की इच्छा जताई तो हमने उन्हें पूरा समर्थन दिया। आज कोर्ट और मंदिर दोनों में विवाह संपन्न हुआ है।”
शादी के बाद खुश नजर आए नवदंपति
शादी के बाद जब सदमा ने अपना नाम बदलकर ‘रानी’ रख लिया, तो यह परिवर्तन उनके प्रेम और निष्ठा को दर्शाता है। नवविवाहित जोड़ा बेहद खुश नजर आया और दोनों ने एक-दूसरे का साथ निभाने का वादा किया।
यह प्रेम विवाह सिर्फ दो दिलों का मिलन नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों और विश्वासों का संगम भी है। समाज में फैली धार्मिक दीवारों को लांघते हुए सदमा और राजा बाबू ने जो कदम उठाया है, वह निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।