रायबरेली के सलोन क्षेत्र में एंटी करप्शन टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दरोगा बाबू ख़ान को दस हज़ार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। पीड़ित के अनुसार, अब तक दरोगा 36 हज़ार की वसूली कर चुका था। मामले में जांच जारी है।
रायबरेली में रिश्वतखोरी पर कसा शिकंजा, दरोगा रंगे हाथ धरा गया
रायबरेली। गुरुवार को रायबरेली जिले में उस समय हड़कंप मच गया जब एंटी करप्शन टीम ने सलोन क्षेत्र में तैनात दरोगा बाबू ख़ान को दस हज़ार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। यह कार्रवाई डीह थाना क्षेत्र के अंतर्गत हुई, जहां भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सख्त कदम उठाते हुए टीम ने दरोगा को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सलोन कोतवाली के अंतर्गत पकसरावा गांव निवासी मिशाल अहमद के खिलाफ 6 मार्च 2025 को मारपीट का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले की जांच का जिम्मा दरोगा बाबू ख़ान को सौंपा गया था। लेकिन, जांच के नाम पर दरोगा ने मिशाल से बार-बार धमकी देना शुरू किया।
दरोगा का दावा था कि मामला गंभीर है और अगर बात न बनी तो गुंडा एक्ट लगाकर पीड़ित की ज़मीन तक कुर्क कर दी जाएगी। इसी डर का फायदा उठाकर दरोगा ने केस में राहत देने के एवज में दस हज़ार रुपये की मांग की।
वादी ने की शिकायत, फिर बनी रणनीति
लाचार होकर जब पीड़ित को कोई और रास्ता नहीं सूझा, तो उसने लखनऊ स्थित एंटी करप्शन कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद तय योजना के अनुसार मिशाल अहमद ने दरोगा को दोपहर में ख्वाजापुर तिराहे पर पैसे लेने के लिए बुलाया।
एंटी करप्शन टीम ने रची रणनीति, धर दबोचा रिश्वतखोर दरोगा
सुनियोजित तरीके से पहले से मौजूद एंटी करप्शन टीम, जिसका नेतृत्व निरीक्षक नुरूल हुदा खान कर रहे थे, मौके पर तैनात थी। जैसे ही दरोगा ने मिशाल से पैसे लिए, टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।
कार्रवाई की पुष्टि अधिकारियों ने की
इस संबंध में सीओ प्रदीप कुमार ने बताया कि
“दरोगा बाबू ख़ान को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते हुए पकड़ा है और उसे लखनऊ ले जाया गया है।”
वहीं, एसपी रायबरेली डॉ. यशवीर सिंह ने जानकारी देते हुए कहा,
“पीड़ित की तहरीर पर डीह थाने में दरोगा के खिलाफ रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि दरोगा पहले ही 36 हज़ार रुपये की वसूली कर चुका था। इस गंभीर मामले में दरोगा को जल्द ही निलंबित किया जाएगा।”
यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी और साहसिक कार्रवाई के रूप में देखी जा रही है। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई और पारदर्शिता जनता के भरोसे को मज़बूत करती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह कार्रवाई अन्य भ्रष्ट अधिकारियों के लिए एक सबक बनेगी और कानून व्यवस्था में सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो।
➡️ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट