
आजमगढ़ में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां छह साल पहले मृत घोषित किया गया युवक लखनऊ में जीवित पाया गया। आरोपी अरविंद चौहान, जो पहले एक निजी कंपनी अलकेमिस्ट में कार्यरत था, पिछले कई वर्षों से लखनऊ में ऑटो चला रहा था और वॉट्सऐप कॉल के जरिए अपनी पत्नी से संपर्क में बना हुआ था।
दरअसल, अलकेमिस्ट कंपनी 2017 में अचानक बंद हो गई, जिससे सैकड़ों लोगों का पैसा फंस गया। इसी कंपनी में काम करने वाला अरविंद चौहान अपने रिश्तेदारों और स्थानीय लोगों से करोड़ों रुपए जमा करवा चुका था। जब लोगों ने अपने पैसे की मांग करनी शुरू की तो अरविंद ने 19 जुलाई 2019 को अचानक घर छोड़ दिया और अपना मोबाइल वहीं छोड़कर लखनऊ भाग गया।
वहां उसने किराए पर कमरा लेकर ऑटो चलाना शुरू किया और पहचान छुपाने के लिए नया मोबाइल नंबर ले लिया। इस दौरान वह अपनी पत्नी सुनीता से वॉट्सऐप कॉल्स के माध्यम से बात करता रहा।
उल्लेखनीय है कि अरविंद की पत्नी ने 2019 में जहानागंज थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बाद में 2024 में न्यायालय के माध्यम से कोतवाली में एक हत्या का मुकदमा भी दर्ज कराया, जिसमें वासुदेव चौहान और घरबारन चौहान को आरोपी बनाया गया।
इस रहस्य से पर्दा तब उठा जब पुलिस की सर्विलांस टीम ने अरविंद के परिजनों के मोबाइल नंबरों की सीडीआर जांच की। जांच में कुछ नंबर संदिग्ध पाए गए और आवाज की पहचान के जरिए यह पुष्टि हुई कि अरविंद लखनऊ के आईआईएम क्षेत्र में रह रहा है।
प्राप्त सूचना के आधार पर आजमगढ़ पुलिस की टीम ने आरोपी को धर दबोचा। पूछताछ में अरविंद ने स्वीकार किया कि अलकेमिस्ट कंपनी में कार्यरत रहते हुए उसने अपने परिचितों से करोड़ों रुपए जमा कराए थे। जब कंपनी भाग गई और लोग पैसे मांगने लगे तो उसने भागने का रास्ता चुना।
इसके अतिरिक्त, अरविंद ने स्वीकार किया कि उसने अपने रिश्तेदार वासुदेव चौहान से धोखे से चार लाख बयालीस हजार रुपये अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर लिए थे। इस मामले में वासुदेव ने आरोपी, उसकी पत्नी और उसके पिता मुसाफिर चौहान के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था।
वहीं, सुनीता चौहान ने न्यायालय में झूठा शपथ पत्र देकर वासुदेव और घरबारन के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज कराया, जिसे अब पुलिस ने फर्जी बताया है।
एसपी हेमराज मीणा ने जानकारी दी कि आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय भेजा जा रहा है, जहां से उसे जेल भेजा जाएगा। इस संपूर्ण कार्रवाई में कोतवाली प्रभारी शशि मौली पांडे, एसआई उमेश चंद्र यादव, सर्विलांस सेल के अतुल मिश्रा और उमेश यादव की अहम भूमिका रही।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
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