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छत्तीसगढ़ में सत्ता का क्रांतिकारी उलटफेर: आदिवासी नेतृत्व ने मचाई हलचल, विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती

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छत्तीसगढ़, भारत का एक महत्वपूर्ण खनिज संपन्न राज्य, हाल के वर्षों में राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी सक्रिय और परिवर्तनशील रहा है। 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद राज्य में सत्ता संतुलन में बड़ा बदलाव देखने को मिला, जिसने राज्य की राजनीति की दिशा और दशा को नया मोड़ दिया।

वर्तमान सरकार और सत्तारूढ़ दल

2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया। भाजपा ने एक जन-आधारित अभियान चलाते हुए, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।

मुख्यमंत्री पद पर चयन

चुनाव के बाद, विष्णुदेव साय को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया और उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे राज्य के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री बने, जिससे भाजपा ने आदिवासी वोट बैंक को साधने का प्रयास किया।

प्रमुख विपक्षी दल और उनकी भूमिका

कांग्रेस अब विपक्ष में बैठी है और पार्टी नेतृत्व ने भूपेश बघेल को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया है। कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को दोहराने और भाजपा की नीतियों की आलोचना करते हुए वह एक मजबूत विपक्ष बनने की कोशिश कर रही है। इसके अतिरिक्त, पार्टी के भीतर गुटबाजी और नेतृत्व को लेकर चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं।

प्रमुख मुद्दे और राजनीतिक बहसें

कृषि और किसानों का मुद्दा: भाजपा सरकार ने समर्थन मूल्य और धान खरीदी पर फोकस किया है, जबकि कांग्रेस इन वादों को ‘अधूरा’ कह रही है।

आदिवासी अधिकार और वन नीति: चूंकि राज्य की एक बड़ी आबादी आदिवासी है, भाजपा ने वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की बात की है, वहीं विपक्ष सरकार पर “भूमि अधिग्रहण में मनमानी” का आरोप लगा रहा है।

बेरोजगारी और निवेश: नई सरकार ने उद्योगों को आकर्षित करने और युवाओं के लिए रोजगार सृजन पर ज़ोर दिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर असर अब तक सीमित दिख रहा है।

नक्सलवाद: बस्तर और आसपास के क्षेत्रों में नक्सली गतिविधियों पर सख्ती से निपटने के लिए सुरक्षा नीति में बदलाव लाए गए हैं, जिसका सामाजिक प्रभाव भी गहराई से देखा जा रहा है।

क्षेत्रीय दलों और अन्य राजनीतिक ताकतों की भूमिका

छत्तीसगढ़ में अभी भी द्विदलीय व्यवस्था (भाजपा और कांग्रेस) का वर्चस्व है, लेकिन जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) जैसी पार्टियों का स्थानीय स्तर पर कुछ असर है। हालांकि, 2023 में इनका प्रदर्शन सीमित रहा।

आगामी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव

2025 के अंत तक होने वाले स्थानीय चुनावों के लिए राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। दोनों प्रमुख दल गांव-गांव तक अपनी पहुंच बना रहे हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से भी जनसंपर्क बढ़ा रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीति बदलाव के दौर में है। भाजपा सत्ता में लौट चुकी है लेकिन उसे जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस पुनः उभरने के लिए संघर्षरत है। राज्य की राजनीति में आदिवासी भागीदारी, कृषि नीतियाँ, और युवाओं के लिए अवसर जैसे मुद्दे आगे भी प्रमुख बने रहेंगे।

➡️हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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