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नरैनी

गौ तस्करी चरम पर, प्रशासन बेखबर: सीयूजी नंबर बन गए ‘डेड लाइन’!

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बांदा जनपद में पशु क्रूरता अधिनियम का उल्लंघन चरम पर, गौ तस्कर बेखौफ। जिम्मेदार अधिकारियों के सीयूजी नंबर बंद, शिकायतों पर नहीं हो रही कार्रवाई।

नरैनी,बांदा। बांदा जनपद में पशु क्रूरता अधिनियम केवल कागजों तक सिमट कर रह गया है। प्रशासन की लापरवाही और जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता ने इस कानून को मजाक बना दिया है। नतीजतन, गौ तस्करों का नेटवर्क दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है।

रात्रि में होती है अवैध गौ तस्करी, जिम्मेदार अधिकारी मौन

जानकारी के अनुसार, प्रत्येक रात्रि 12 बजे के बाद 50 से 60 पशुओं से भरे वाहन जनपद की सीमाओं को पार करते हैं। इन वाहनों को कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इंटर-डिस्ट्रिक्ट क्षेत्रों में बेधड़क प्रवेश मिल रहा है।

स्थानीय संगठन का गंभीर आरोप

गौ रक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष सोनू करवरिया ने बताया कि क्षेत्रीय नागरिकों से प्राप्त सूचनाओं के बावजूद जब कालिंजर और अतर्रा थाने सहित अन्य चौकियों को सूचित किया गया, तब भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा दिए गए सीयूजी नंबर तक काम नहीं कर रहे, या फिर अधिकारी कॉल रिसीव नहीं करते।

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सीयूजी नंबरों की निष्क्रियता बनी गंभीर मुद्दा

यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब एसपी पॉइंट पर जानकारी देने के बावजूद संबंधित थानों—जैसे बिसण्डा और बबेरू—द्वारा तस्करी में लिप्त गाड़ियों को जानबूझकर रात में पार करा दिया जाता है। केवल सीओ अतर्रा और पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल को सूचना दिए जाने पर एक गाड़ी अतर्रा थाना क्षेत्र में पकड़ी गई।

औगासी पुलिस चौकी की संदिग्ध भूमिका

स्थानीय लोगों का आरोप है कि लगातार लोकेशन साझा करने के बावजूद औगासी पुलिस चौकी की शह पर डीसीएम वाहन गौवंशों से लोड होकर फतेहपुर एरिया में प्रवेश कर गया।

जनता में आक्रोश, जिम्मेदारों से जवाबदेही की मांग

गौ रक्षा समिति के अध्यक्ष ने सवाल उठाया है कि जब अधिकारी सीयूजी नंबरों को सार्वजनिक करते हैं, तो उनका उत्तरदायित्व क्यों नहीं निभाया जाता? जब आम जनता की कॉल ही नहीं उठाई जाती, तो ऐसे नंबरों का औचित्य क्या है?

यह स्थिति न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है। अब आवश्यकता है कि शासन स्तर पर कड़े कदम उठाए जाएं और सीयूजी नंबरों की निगरानी के साथ-साथ पशु तस्करी रोकने के लिए प्रभावी रणनीति लागू की जाए।

➡️सोनू करवरिया की रिपोर्ट

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