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25 February 2025 7:18 am

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बच्चा तस्करी गिरोह का भंडाफोड़, मुख्य आरोपी मां ने खुद बेचा अपना बेटा

22 पाठकों ने अब तक पढा

विनीता कश्मीरी की रिपोर्ट

देश की राजधानी दिल्ली में रेलवे पुलिस ने एक बड़े बच्चा तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह की सरगना 34 वर्षीय महिला बताई जा रही है, जो बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेचने का गोरखधंधा चला रही थी। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

पैसों के लिए अपने ही बेटे को बेचने की साजिश

रेलवे पुलिस उपायुक्त (DCP) केपीएस मल्होत्रा के अनुसार, महिला को इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से दो अपहृत बच्चों के साथ गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के दौरान उसने चौंकाने वाला खुलासा किया कि वह अपने 15 महीने के बेटे को भी बेचने की योजना बना रही थी। इतना ही नहीं, वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को भी भविष्य में बेचने का इरादा रखती थी।

गिरफ्तार महिला की पृष्ठभूमि

जांच के दौरान पता चला कि महिला की पहली शादी 17 साल पहले पश्चिम बंगाल के बर्दवान में हुई थी, जिससे उसके दो बेटे हुए। सात साल पहले उसका तलाक हो गया, जिसके बाद उसने फरीदाबाद के सूरज नामक व्यक्ति से दूसरी शादी कर ली। इस शादी से भी उसके दो बच्चे हुए—एक छह साल का और दूसरा 15 महीने का।

एक सांकेतिक डिजिटल चित्रण जो बाल तस्करी की भयावहता को दर्शाता है। छवि में एक रहस्यमय छायादार व्यक्ति पैसे के बदले एक छोटे बच्चे का सौदा करता हुआ दिख रहा है, जो अवैध व्यापार का प्रतीक है। एक परेशान मां अपने बच्चे तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे एक अन्य व्यक्ति द्वारा रोका जा रहा है। गहरे नीले और बैंगनी रंग की पृष्ठभूमि इस दृश्य को और अधिक भयावह और प्रभावशाली बनाती है, जिससे भय, निराशा और अन्याय की भावना स्पष्ट रूप से झलकती है। 

महिला डॉक्टर भी थी इस गिरोह का हिस्सा

दिलचस्प बात यह है कि दो साल पहले आरोपी महिला की मुलाकात फरीदाबाद की एक महिला से हुई, जो खुद को डॉक्टर बताती थी। उसने महिला को बताया कि वह निःसंतान दंपतियों के लिए बच्चों की व्यवस्था कर सकती है। आर्थिक तंगी से जूझ रही आरोपी महिला ने इस पेशकश को स्वीकार कर लिया और अपने छह साल के बेटे को 90,000 रुपये में बेच दिया। इसके बाद उसने छोटे बेटे को भी दो से ढाई लाख रुपये में बेचने की कोशिश की, ताकि फरीदाबाद में एक छोटा घर खरीद सके।

गिरोह की तस्करी का तरीका और पुलिस की कार्रवाई

पुलिस के अनुसार, यह गिरोह कानूनी दस्तावेजों में हेरफेर कर तस्करी किए गए बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने के नाम पर बेचता था। आरोपी महिला डॉक्टर ने बच्चों को अनाथ या परित्यक्त बताकर दंपतियों को सौंपने की साजिश रची थी।

इसके अलावा, पुलिस ने बताया कि यह गिरोह कोडवर्ड का इस्तेमाल करता था और बार-बार अपने मोबाइल नंबर बदलता था, ताकि पुलिस की नजरों से बच सके। जांच के दौरान पुलिस टीम ने 700 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले और संदिग्धों की गतिविधियों को ट्रैक किया।

फर्जी दस्तावेज बनाने वाली महिला भी गिरफ्तार

गिरफ्तार किए गए अन्य आरोपियों में एक महिला वकील की क्लर्क भी शामिल है, जो नकली गोद लेने के दस्तावेज तैयार करने का काम करती थी।

इस मामले ने बच्चों की सुरक्षा और मानव तस्करी के खतरनाक नेटवर्क को उजागर कर दिया है। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस गिरोह ने अब तक कितने बच्चों को बेचा और इसमें और कौन-कौन शामिल है। फिलहाल, पुलिस की कार्रवाई जारी है और आगे भी कई खुलासे होने की संभावना है।

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