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राजनीति

कांग्रेस क्यों रही कमजोर?

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कांग्रेस की कमजोरियों और संगठनात्मक चुनौतियों का विश्लेषण करता यह लेख बताता है कि आंतरिक खींचतान, रणनीतिक चूक और नेतृत्व की गलतियों के कारण पार्टी पिछड़ती गई। जानिए कांग्रेस की मौजूदा स्थिति और भविष्य की संभावनाएं।

केवल कृष्ण पनगोत्रा

पिछले दिनों राहुल गांधी ने गुजरात दौरे के दौरान कांग्रेस पार्टी के संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह नाराजगी जाहिर की कि कुछ नेता भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे नेताओं को हटाने की जरूरत बताई। हालांकि, केवल यही पर्याप्त नहीं है। पार्टी को मजबूत बनाने के लिए नेताओं, कार्यकर्ताओं और जनता का भरोसा जीतना भी आवश्यक है। यही बात कांग्रेस के कुछ अन्य वरिष्ठ नेता भी कह चुके हैं। उत्तराखंड और झारखंड में पार्टी के प्रभारी भी इसी तरह के सुझाव दे चुके हैं।

कांग्रेस में आपसी सामंजस्य की कमी

बीते कुछ वर्षों में कांग्रेस के भीतर आपसी तालमेल की कमी स्पष्ट रूप से नजर आई है। 2022 में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने भी इस ओर संकेत दिया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी में ऐसे लोग घुस आए हैं जो भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने की जरूरत है।

राहुल गांधी को यह बात देर से समझ आई कि जब तक कांग्रेस जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करेगी, तब तक उसे चुनावी जीत नहीं मिलेगी। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि जब उनकी दादी इंदिरा गांधी चुनाव हारी थीं, तब उन्होंने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सारे दरवाजे कार्यकर्ताओं के लिए खोल दिए थे।

नेतृत्व पर उठते सवाल

अगस्त 2022 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद पार्टी से नाराज हो गए थे। उस समय सिर्फ आम जनता ही नहीं, बल्कि पार्टी कार्यकर्ता और जमीनी स्तर के नेता भी कांग्रेस से कट चुके थे। गुलाम नबी आजाद अनुभव का खजाना थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनके सुझावों की अनदेखी की। उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बजाय ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ का सुझाव दिया था, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई।

अब जब कांग्रेस की आंतरिक कमजोरी स्पष्ट हो रही है, तो राहुल गांधी इस पर चिंता जता रहे हैं।

भाजपा की रणनीति और कांग्रेस की कमजोरी

2014 से भाजपा ने न केवल केंद्र में, बल्कि अधिकांश राज्यों में भी बेहतरीन चुनावी प्रदर्शन किया है। वहीं, कांग्रेस का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा। 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति में थोड़ा सुधार जरूर हुआ, लेकिन इंडिया ब्लॉक को सत्ता तक नहीं पहुंचा पाई। इसकी एक प्रमुख वजह कांग्रेस की आंतरिक कमजोरी हो सकती है।

दरअसल, 2014 के बाद कांग्रेस ने अपनी ऊर्जा संगठन को मजबूत करने की बजाय भाजपा की आलोचना में खर्च कर दी। राजनीति में विरोधी दलों की आलोचना महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी पार्टी की संगठनात्मक मजबूती होती है।

भाजपा की कार्यप्रणाली से कांग्रेस को सीखना होगा

भाजपा की ‘प्रशिक्षण कार्यशालाएं’ (Training Workshops) इसकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक हैं। भाजपा चुनाव से एक-दो साल पहले ही रणनीति बनाना शुरू कर देती है, जबकि कांग्रेस आंतरिक खींचतान का शिकार रहती है।

भाजपा लगातार नए कार्यकर्ताओं को जोड़ती है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने और वफादार नेताओं को ही नाराज करती आई है। गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा इसकी सबसे बड़ी मिसाल है।

यदि कांग्रेस को दोबारा मजबूती हासिल करनी है, तो उसे अपने संगठन को सशक्त करना होगा। पार्टी को नेतृत्व, कार्यकर्ताओं और जनता के बीच विश्वास पैदा करना होगा। केवल विरोधी दलों की आलोचना करने से कुछ नहीं होगा; बल्कि ठोस संगठनात्मक बदलाव और दूरदर्शी रणनीति अपनानी होगी। अन्यथा, कांग्रेस की कमजोरी भाजपा के लिए और अधिक लाभकारी साबित होती रहेगी।

▶️लेखक शिक्षाविद और नामचीन विचारक हैं। ऐसे ही विचारोत्तेजक लेख पढने के लिए हमारे साथ बने रहें

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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