शिव कुमार की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वे के बाद भड़की हिंसा ने एक बार फिर तनाव का माहौल बना दिया है। इस घटना के बाद पुलिस ने अब तक 25 लोगों को गिरफ्तार किया है और सात अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं। इस मुद्दे पर पंजाब के शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने मुस्लिम नेताओं और मौलवियों को आड़े हाथों लिया है।
मुस्लिम नेताओं पर हमला
शाही इमाम ने कहा कि आज मुसलमानों की तकलीफों के लिए वे नेता और मौलवी जिम्मेदार हैं, जो केवल कॉन्फ्रेंस और प्रेस नोट जारी करने तक सीमित हैं। उन्होंने कहा, “अगर तुम लीडर होते, तो मोहम्मद रसूल अल्लाह की सुन्नत के मुताबिक सबसे आगे खड़े होते। मुश्किल वक्त में अपनी कौम को समझाते, लेकिन तुमने ऐसा कुछ नहीं किया। तुम लीडर नहीं हो, सौदेबाज हो।”
मुसलमानों को बेईमान नेताओं से सावधान रहने की सलाह
उन्होंने मुसलमानों को ऐसे नेताओं से सतर्क रहने की सलाह दी, जो मुश्किल समय में उनका साथ नहीं देते। उन्होंने कहा, “तुम किन बेईमानों के पीछे लगकर पुलिसवालों से लड़ाई करते हो, अपने बच्चों को मरवाते हो, और उन पर नाजायज मुकदमे लगवाते हो। वे नेता जो कभी तुम्हारे दुख-दर्द में खड़े नहीं हुए, वे सिर्फ अपना स्वार्थ साध रहे हैं।”
नेताओं पर वक्फ की संपत्तियों से स्वार्थ साधने का आरोप
शाही इमाम ने आरोप लगाया कि ये नेता वक्फ और मुसलमानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अगर ये वाकई वक्फ और मुसलमानों के हितैषी होते, तो इनके मोहल्लों में कोई गरीब न होता। इनके पास मस्जिदें, कॉलेज और यूनिवर्सिटियां होतीं। लेकिन ये लोग मुसलमानों को बीजेपी का डर दिखाकर अपनी खिसकती जमीन बचाने में लगे हुए हैं। इन्हें मुसलमानों की तकलीफों से कोई मतलब नहीं है।”
न्याय के नाम पर दिखावटी प्रयासों की आलोचना
शाही इमाम ने कहा कि ये नेता केवल दिखावे के लिए काम करते हैं। “ये लोग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस या एक वकील खड़ा करने तक सीमित रहते हैं। 25 साल बाद किसी को रिहा करवाने का श्रेय लेकर अपनी पीठ थपथपाते हैं, लेकिन असली मुश्किल वक्त में कहीं नजर नहीं आते।”
मुस्लिम समाज के लिए आत्ममंथन की अपील
शाही इमाम ने अपने भाषण के जरिए मुसलमानों से आत्ममंथन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि असल समस्या उनके बीच मौजूद स्वार्थी नेताओं और मौलवियों से है, जो उनकी भावनाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं।
संभल की यह घटना और शाही इमाम के तीखे बयान ने मुस्लिम समाज में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यह वक्त है कि समाज आत्मचिंतन करे और उन लोगों को पहचाने, जो वाकई उनके हित में काम कर रहे हैं।