ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उन्नाव। हल चलाकर जिस बेटे को वर्दी पहनाई, गुरुवार को उसी बेटे की अर्थी को कंधा देते वक्त पिता के पैर कांप गए। परिवार के लिए यह क्षण असहनीय था। पुलिसकर्मी विकास कुमार की सड़क हादसे में मौत ने उसके सपनों के साथ परिवार की खुशियां भी छीन लीं।
पुलिस सम्मान के बाद अंतिम विदाई
UP Police Constable Death पुलिस लाइन के बलिदान स्मारक स्थल पर गार्ड ऑफ ऑनर के बाद पुलिस वाहन से विकास का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव भेजा गया। इस दौरान एएसपी अखिलेश सिंह, सीओ सिटी सोनम सिंह समेत अन्य पुलिस अधिकारी व कर्मियों की आंखें नम हो गईं।
कौन थे सिपाही विकास कुमार?
मुरादाबाद जिले के झजलेट क्षेत्र के गांव छज्जूपुर देयम निवासी 28 वर्षीय विकास कुमार पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर थे। उनका सपना था कि वे पुलिस में भर्ती हों। पिता अमर सिंह ने खेती कर किसी तरह बेटे के सपने को पूरा किया।
2019 में पुलिस विभाग में भर्ती होने के बाद पहली तैनाती उन्नाव में हुई। इसके बाद उन्हें असोहा थाना क्षेत्र के कालूखेड़ा चौकी में पोस्टिंग मिली। 24 जुलाई 2024 को बारासगवर थाना भेजे जाने के बाद ऊंचगांव चौकी में तैनाती कर दी गई।
कैसे हुआ हादसा?
बुधवार रात करीब 10 बजे विकास थाना से डाक रिसीव कर चौकी लौट रहे थे। रास्ते में परौरी गांव के पास उनकी बाइक सामने से आ रही दूसरी बाइक से टकरा गई। हेलमेट न पहनने के कारण सिर पर गंभीर चोट आई और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
गर्भवती पत्नी सदमे में, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
सिपाही विकास की मौत की खबर मिलते ही उनकी पत्नी गीतांजलि बेसुध हो गईं। गर्भ में पल रहे शिशु को लेकर चिंतित पत्नी बिलख उठी— “बच्चे के जन्म से पहले ही पति छोड़कर चले गए।”
विकास का एक बेटा छह वर्षीय जैनकून है। पिता अमर सिंह, मां विमला देवी और परिवार के अन्य सदस्य पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो मातम का माहौल छा गया। छोटे भाई अमित ने कहा, “भैया हमारे परिवार का सहारा थे। उनके जाने से सब अंधकारमय हो गया।”
दूसरी बाइक पर तीन नाबालिग सवार, एक की हालत गंभीर
विकास की बाइक से टकराने वाली दूसरी बाइक पर बारासगवर के परौरी गांव निवासी तीन नाबालिग— रौनक शुक्ला, अंश यादव और आयुष सिंह सवार थे। वे एक मांगलिक कार्यक्रम से लौट रहे थे।
हादसे में तीनों घायल हुए, जिनमें रौनक शुक्ला की हालत गंभीर होने पर उन्हें कानपुर के एलएलआर अस्पताल रेफर किया गया। आयुष सिंह को भी कानपुर ले जाया गया, जबकि अंश यादव का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
इस दर्दनाक सड़क हादसे ने न केवल एक बहादुर सिपाही की जान ले ली, बल्कि उसके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया। यह घटना हेलमेट पहनने के महत्व को भी दर्शाती है। पुलिस और प्रशासन से उम्मीद है कि इस मामले में उचित कार्रवाई होगी, जिससे भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की