उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने धार्मिक और जातीय हिंसा पर विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि “धर्म और जाति पूछकर मारा जा रहा है।” विपक्ष ने इसे समाज में नफरत फैलाने वाला बताया और चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फायरब्रांड नेता और उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज एक बार फिर अपने तीखे और विवादास्पद बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्नाव में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने देश में धार्मिक असहिष्णुता और जातीय हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा,
“आज लोगों को धर्म पूछकर मारा जा रहा है, जाति पूछकर मारा जा रहा है, कलमा पढ़वाकर मारा जा रहा है।”
समाज में बढ़ती असहिष्णुता पर सवाल
साक्षी महाराज ने सीधे तौर पर देश में बढ़ती कट्टरता और तुष्टीकरण की राजनीति को समाजिक असंतुलन के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा,
“यदि किसी मोहल्ले में 100 हिंदू परिवार रहते हैं, तो वहां एक मुस्लिम परिवार चैन से रह सकता है। लेकिन 50 मुस्लिम परिवारों वाले क्षेत्र में 10 हिंदू परिवार सुरक्षित नहीं रह सकते।”
इस बयान के जरिए उन्होंने न सिर्फ सामाजिक विभाजन की ओर इशारा किया, बल्कि यह भी आरोप लगाया कि कुछ तत्व देश की एकता को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं और उन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
समर्थकों का समर्थन, विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
कार्यक्रम में मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनके बयान का ज़ोरदार समर्थन किया। उनका कहना था कि साक्षी महाराज ने जमीनी हकीकत बयान की है, जिसे स्वीकारना जरूरी है।
हालांकि, दूसरी ओर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और अन्य विपक्षी दलों ने इस बयान को धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाला बताया है। उन्होंने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि इस तरह की बयानबाज़ी से चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण को बढ़ावा मिल रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
साक्षी महाराज के इस बयान का वीडियो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। जहां कुछ लोग इसे सच्चाई का आईना बता रहे हैं, वहीं अन्य यूजर्स इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की रणनीति के रूप में देख रहे हैं।
“देशहित में बोलता हूं”—साक्षी महाराज
बढ़ती आलोचनाओं के बीच साक्षी महाराज ने सफाई देते हुए कहा,
“मुझे फर्क नहीं पड़ता लोग क्या कहेंगे, मैं वही कहता हूं जो देश के हित में होता है। मेरा उद्देश्य समाज को बांटना नहीं, बल्कि सच्चाई सामने लाना है।”
हालांकि, स्थानीय प्रशासन या पुलिस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन एहतियात के तौर पर प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश जरूर दिए गए हैं।
चुनावी माहौल में ध्रुवीकरण की कोशिश?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान चुनावी ध्रुवीकरण की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। अक्सर ऐसे बयानों के ज़रिए धार्मिक और जातीय भावनाएं भड़काई जाती हैं, जिससे वोट बैंक की राजनीति को मजबूती मिलती है।
फिलहाल माहौल शांत है, लेकिन आगामी दिनों में इस बयान का असर राजनीतिक समीकरणों पर साफ़ तौर पर देखने को मिल सकता है।