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खास खबर

वादियों की जमीन पर खिंची एक लकीर न जाने कितना कुछ कह जाती हैं….

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अरमान अली की खास रिपोर्ट 

कश्मीर की वादियों के ऊपर से प्लेन के उस सफर की तस्वीर आज भी मेरे दिमाग में ताजा है। वादी की जमीन पर खिंची वो लकीरें…दुनिया में कहीं भी लकीरों से ऐसी खूबसूरत तस्वीर नहीं बनती। जमीन, नदियों, दरख्तों और दर्रों की इन लकीरों में कश्मीर की नायाब सूरत छिपी है।

आसमान से देखो तो जमीन पर लकीरें तो हर जगह दिख जाती हैं। मगर कश्मीर की जमीन पर खिंची लकीरें पूरे हिंदुस्तान तो क्या पूरी दुनिया में नायाब हैं। यह लकीरें कैलिग्राफी की तरह हैं। वादियों में खूबसूरत इबारत की तरह खिंची ये लकीरें एक अलग ही कहानी बयां करती हैं। बर्फ की परतों, पत्तों और तमाम रंगों के पत्थरों से बनी यह गहरी कैलिग्राफी से रोशनी अलग ही ढंग से गुजरती है। कुछ ऐसा ही अहसास कश्मीरी जामावार पर की गई कारीगरी या अखरोट की लकड़ी पर महीन नक्काशी या पेपर मैशे के बारीक डिजाइन भी देते हैं। प्लेन की खिड़की से दिखती लकीरें इनके जैसी नहीं, मगर इनके अक्स जैसी जरूर हैं। जैसे इन्हीं बारीकियों को जमीन पर उतारना चाहती हों।

यही लकीरें कश्मीरियों के चेहरों में भी ढली हैं

आंखों, भौंह, गालों या चेहरे के किनारों में इन्हीं लकीरों सा अहसास मिलता है। यहां चेहरों पर भी जैसे उसी जुबान में कहानियां लिखी हैं जैसे प्लेन से दिखती यहां की जमीन पर खिंची लकीरें सुनाती हैं। इन्हीं लकीरों में कश्मीर के लोगों की शख्सियत भी लिखी है। इन लकीरों में ऐसी खुद्दारी लिखी है जो दशकों से जारी दर्द के दौर के बावजूद मिटती नहीं है। इन लकीरों में कश्मीरियत का वो फख्र लिखा है जो यातनाओं के लंबे दौर के बावजूद जाता नहीं है। कोई भी यातना, कोई भी दर्द इन लोगों को इंसानियत के फख्र से जुदा नहीं कर सकती। इंसानियत की उम्मीद न वो दूसरों से छोड़ते हैं और न कभी खुद से।

मैंने कश्मीर में गर्व से तने हुए सिर देखे हैं। रास्ते के किनारे खड़े लोगों के दुआ-सलाम में खुद्दारी देखी है।

हमारी कार को देख हाथ हिलाते बच्चों की आंखों में शरारत देखी है

कश्मीर की हर तारीफ लिखी जा चुकी है। जन्नत का दर्जा दिया जा चुका है…मगर ये भी तो सच है कि चेहरा खूबसूरत हो तो परेशानी दूसरों से ज्यादा उठानी पड़ती है।

यह भी विडंबना है कि यह खूबसूरत जमीन राजनीति के कंटीले तारों में उलझी हुई है। मगर इस बार मुझे लगा…नहीं, सब कुछ ठीक है। इतिहास करवट लेता है तो उथल-पुथल मचती है मगर प्रकृति नहीं बदलती। सिर्फ कपड़ों की तरह उसके मौसम बदलते हैं। कश्मीर की जमीन पर खिंची ये लकीरें हमेशा रहेंगी, हर जगह से अलग और सबसे खूबसूरत। अमेरिका भी चाहे तो इसे बदल नहीं सकता। कश्मीर शांत रहे या न रहे…जन्नत हमेशा रहेगा।

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samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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