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प्रदेश के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था निजीकरण की ओर, 1.71 करोड़ उपभोक्ता होंगे प्रभावित

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की बिजली वितरण व्यवस्था को सुधारने और घाटे को कम करने के उद्देश्य से एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति को निजी हाथों में सौंपने की योजना बनाई जा रही है। इस योजना के तहत पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर चलाया जाएगा। इस बदलाव से करीब 1.71 करोड़ उपभोक्ता प्रभावित होंगे, जिनमें घरेलू, वाणिज्यिक, और औद्योगिक उपभोक्ता शामिल हैं।

क्यों लिया जा रहा है यह निर्णय?

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) लंबे समय से घाटे का सामना कर रहा है। बिजली चोरी, बिलों की वसूली में कमी और प्रशासनिक खर्चों की अधिकता के चलते बिजली वितरण निगमों का वित्तीय संकट गहराता जा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी की जा रही है, ताकि बिजली आपूर्ति में सुधार हो और आर्थिक घाटे को कम किया जा सके।

प्रभावित जिलों की संख्या और उपभोक्ता

इस निजीकरण योजना के तहत कुल 42 जिलों की बिजली व्यवस्था प्रभावित होगी। इनमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आने वाले सभी जिले शामिल हैं। इन जिलों में कुल 1.71 करोड़ उपभोक्ता हैं।

कर्मचारियों के लिए बनाए गए नए नियम

सरकारी और आउटसोर्स कर्मचारियों को इस बदलाव के साथ नए नियमों का सामना करना पड़ेगा। कर्मचारियों के लिए तीन विकल्प प्रस्तावित किए गए हैं:

1. पहला वर्ष: सभी सरकारी कर्मचारी निजी कंपनी के साथ काम करेंगे।

2. दूसरा वर्ष: दूसरे साल में, केवल एक-तिहाई कर्मचारियों को अन्य डिस्कॉम में स्थानांतरित होने का मौका मिलेगा।

3. वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना): एक वर्ष बाद, इच्छुक कर्मचारियों को वीआरएस लेने का विकल्प मिलेगा।

आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति

आउटसोर्सिंग के तहत कार्यरत 44,000 कर्मचारी इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। उनके कार्यकाल का निर्णय निजी कंपनी के विवेक पर निर्भर होगा। मौजूदा अनुबंध समाप्त होने के बाद, निजी कंपनी यह तय करेगी कि उन्हें काम पर रखना है या हटाना। दक्षता के आधार पर छंटनी का अधिकार भी निजी कंपनी के पास होगा।

निजीकरण के खिलाफ विरोध

इस प्रस्ताव के खिलाफ इंजीनियर और कर्मचारी संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि निजीकरण से कर्मचारियों की नौकरी असुरक्षित हो जाएगी और उन्हें निजी कंपनियों की शर्तों पर काम करना पड़ेगा। विरोध के बावजूद, UPPCL का दावा है कि बिजली वितरण में सुधार लाने और घाटे को कम करने के लिए यह कदम जरूरी है।

बिजली व्यवस्था में संभावित सुधार

सरकार का मानना है कि PPP मॉडल से बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा, बिलिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, और राजस्व की वसूली बेहतर होगी। हालांकि, इस प्रक्रिया में कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित रखना और उनकी चिंताओं का समाधान करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

निजीकरण के संभावित परिणाम

1. बिजली आपूर्ति में सुधार: निजी कंपनियों के आने से बिजली कटौती की समस्या कम हो सकती है।

2. कर्मचारियों की अनिश्चितता: सरकारी कर्मचारियों के स्थानांतरण और आउटसोर्स कर्मियों की नौकरी की सुरक्षा बड़ा मुद्दा है।

3. उपभोक्ताओं पर असर: बिजली दरों में वृद्धि की संभावना से उपभोक्ता चिंतित हैं।

सरकार को इस फैसले को लागू करते समय कर्मचारियों और उपभोक्ताओं की समस्याओं पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि बिजली वितरण व्यवस्था का निजीकरण संतुलित और न्यायसंगत तरीके से किया जा सके।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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