अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारी को लेकर अखाड़ों के बीच विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। गुरुवार को प्रयागराज मेला प्राधिकरण के कार्यालय में अखाड़ों की बैठक के दौरान दो गुटों के संतों के बीच आपसी मतभेद ने मारपीट का रूप धारण कर लिया। यह घटना उस समय हुई, जब मेला प्राधिकरण द्वारा अखाड़ों को आवंटित की जाने वाली भूमि के निरीक्षण की योजना बनाई गई थी।
कैसे हुआ विवाद?
इस बैठक में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री रवींद्र पुरी और महामंत्री स्वामी हरी गिरी समेत अन्य संतगण एवं मेला प्राधिकरण के अधिकारी मौजूद थे। बैठक की शुरुआत शांतिपूर्वक हुई, लेकिन भूमि आवंटन के मुद्दे पर संतों के बीच बहस शुरू हो गई। जल्द ही यह बहस तीखी कहासुनी में बदल गई। एक पक्ष द्वारा की गई नारेबाजी से माहौल और गरमा गया, जिसके बाद संतों के बीच लात-घूंसों और मुक्कों की बौछार शुरू हो गई।
मौके पर अफरा-तफरी और प्रशासन का हस्तक्षेप
मेला प्राधिकरण के कार्यालय में अचानक हुए इस हंगामे से अफरा-तफरी मच गई। वहां उपस्थित अधिकारियों ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया, लेकिन माहौल बिगड़ता देख पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस ने पहुंचकर संघर्ष कर रहे संतों के बीच बचाव किया और किसी तरह स्थिति को नियंत्रित किया।
महामंत्री हरी गिरी ने कराया समझौता
हालांकि, इस झगड़े के दौरान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री स्वामी हरी गिरी ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराया। उन्होंने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की, जिसके बाद धीरे-धीरे माहौल सामान्य हुआ। लेकिन घटना के बाद भी कार्यालय में तनाव का माहौल बना रहा।
महाकुंभ की तैयारियों पर सवाल
महाकुंभ 2025 में अखाड़ों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए इस तरह की घटना चिंताजनक है। अखाड़ों के बीच इस प्रकार के टकराव ने महाकुंभ की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मेला प्राधिकरण द्वारा भूमि आवंटन को लेकर पहले से ही संतों के बीच असहमति थी, लेकिन बैठक के दौरान इस तरह की हिंसा अप्रत्याशित थी।
क्या था विवाद का कारण?
सूत्रों के अनुसार, इस विवाद की जड़ भूमि आवंटन को लेकर असहमति थी। एक पक्ष ने बैठक में नारेबाजी की, जिससे दूसरे पक्ष के संत नाराज हो गए और बात हाथापाई तक पहुंच गई।
अखाड़ों की एकता पर गहरा आघात
यह घटना अखाड़ों की एकता पर गहरा आघात करती है, खासकर तब जब महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन के लिए एकजुटता की आवश्यकता है। यह विवाद मेला प्राधिकरण और प्रशासन के लिए भी एक चेतावनी है कि महाकुंभ की तैयारी में आने वाले दिनों में और भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
प्रयागराज के मेला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि वे इस घटना की जांच करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो। महाकुंभ की तैयारियों को लेकर अखाड़ों के साथ बैठकें जारी रहेंगी, लेकिन अब प्रशासन इस बात का खास ख्याल रखेगा कि किसी भी तरह की कहासुनी हिंसा में न बदलने पाए।
महाकुंभ जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के दौरान अखाड़ों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में संतों के बीच आपसी मतभेद और हिंसा न केवल महाकुंभ की तैयारियों को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि श्रद्धालुओं के विश्वास पर भी सवाल खड़े कर सकते हैं। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि महाकुंभ 2025 की तैयारियों के लिए अखाड़ों के बीच समन्वय और सहयोग बेहद जरूरी है। प्रशासन को भी इस बात पर ध्यान देना होगा कि सभी पक्षों की चिंताओं का समाधान समय पर किया जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की अप्रिय घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।