अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव परिणामों में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक नहीं है। बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में उम्मीद की जा रही थी कि चुनाव में मिली पराजय के कारणों पर विचार-विमर्श होगा और उन मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसके कारण बीजेपी यूपी में पहले स्थान से दूसरे स्थान पर आ गई। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बजाय, हार को छिपाने के लिए आंकड़ों का उपयोग किया गया।
इससे असंतुष्ट नेताओं का मनोबल बढ़ गया और शीर्ष नेताओं के बीच विवाद भी उत्पन्न हो गया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि संगठन, सरकार से ऊपर होता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोई व्यक्ति या सरकार संगठन से बड़ी नहीं हो सकती। उन्होंने कार्यकर्ताओं की समस्याओं का उल्लेख किया और कहा कि जो दर्द कार्यकर्ताओं का है, वही दर्द उनका भी है।
केशव मौर्य का यह बयान संगठन को सरकार से बड़ा बताने वाला था और मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में इस बयान ने असंतुष्ट नेताओं को मुखर होने का अवसर दे दिया।
केशव मौर्य के बयान के बाद, निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने भी उनके सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है और जनता सुख चाहती है, जो केवल सरकार से मिलता है।
उन्होंने यह भी कहा कि नौकरशाहों की वजह से आरक्षण का मामला उलझा हुआ है और योगी सरकार की बुलडोजर नीति पर सवाल खड़े किए।
अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े किए। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था कि प्रदेश सरकार की साक्षात्कार वाली नियुक्तियों में ओबीसी, दलित और आदिवासी अभ्यर्थियों को यह कहकर छांट दिया जाता है कि वे योग्य नहीं हैं और बाद में इन पदों को अनारक्षित घोषित कर दिया जाता है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा नेता मोती सिंह ने भी सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने 42 साल के राजनीतिक जीवन में ऐसा भ्रष्टाचार नहीं देखा। भाजपा विधायक रमेश मिश्रा ने भी पार्टी की कमजोर स्थिति पर चिंता जताई।
बीजेपी कार्यसमिति की बैठक के बाद, केशव प्रसाद मौर्य सरकारी बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं और कैबिनेट बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं। हालांकि, वे लखनऊ और दिल्ली में पार्टी के नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं।
इस सबके बीच, बीजेपी की आंतरिक समस्याएं और नेताओं के बीच बढ़ती असहमति पार्टी की स्थिति को और जटिल बना रही हैं।
Author: samachar
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