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November 25, 2024 8:27 am

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केशव प्रसाद मौर्या ; कार्यकर्ताओं के मन की बात पर तालियां तो खूब बटोरीं, लेकिन उनका संबोधन कई सवाल भी छोड़ गया

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट

आजकल बारिश और बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है, वहीं बीजेपी में चुनावी हार के बाद उथल-पुथल मची हुई है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के एक बयान ने लोगों का ध्यान हार से हटाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी कथित तकरार की ओर खींच लिया है। 

मौर्य दिल्ली में भाजपा आलाकमान से मिलने पहुंचे हैं, या फिर उन्हें बुलाया गया है। चुनावी हार पर विश्लेषण के दौरान मौर्य ने कहा था कि संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है। जब उन्होंने यह बात कही, तब योगी और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा सहित कई बड़े नेता भी वहां उपस्थित थे। मौर्य के इस बयान के दो अर्थ निकाले जा रहे हैं – पहला, कि यह कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए था, और दूसरा, कि यह योगी को चुनौती देने वाला बयान था।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दस साल में पहली बड़ी हार का सामना करना पड़ा, और इसके बाद विधानसभा उपचुनावों में भी हार हुई। इन चुनावी हार के कारण पार्टी के भीतर काफी असंतोष दिखाई दे रहा है। अनुशासन के लिए प्रसिद्ध बीजेपी में अब बयानबाजी और बगावत आम हो गई है।

हार के कारणों पर मंथन चल रहा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि असली कारण छुपाए जा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार कूमी कपूर ने लिखा कि हार के कारणों का पता लगाने के लिए 40 सदस्यों की टास्क फोर्स बनाई गई, लेकिन इस टास्क फोर्स ने केंद्रीय चुनाव समिति के फैसलों और तरीकों की जांच नहीं की।

जब उत्तर प्रदेश की 80 में से 50 सीटों के उम्मीदवार तय किए गए तो मोदी, शाह, और नड्डा ने लोक कल्याण मार्ग पर अनौपचारिक बैठक की। इस दौरान योगी आदित्यनाथ दो घंटे तक इंतजार करते रहे। बाद में औपचारिक बैठक में नाम पढ़ दिए गए। बताया जाता है कि योगी ने 35 मौजूदा सांसदों के नाम हटाने का सुझाव दिया था, जिसे नहीं माना गया। इनमें से 27 चुनाव हार गए।

राज्यवार नुकसान इस प्रकार रहा

– उत्तर प्रदेश: 62 में से 29 सीटें गंवाई

– महाराष्ट्र: 23 में से 14 सीटें गंवाई

– पश्चिम बंगाल: 18 में से 6 सीटें गंवाई

– राजस्थान: 25 में से 11 सीटें गंवाई

– बिहार: 17 में से 5 सीटें गंवाई

– कर्नाटक: 25 में से 8 सीटें गंवाई

– हरियाणा: 10 में से 5 सीटें गंवाई

कूमी कपूर लिखती हैं कि टास्क फोर्स के सदस्य लखनऊ और वाराणसी गए ही नहीं। वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी महज 1.52 लाख वोटों के अंतर से जीते। 2019 में यह अंतर 4.79 लाख का था। वाराणसी की जीत किसी भी सिटिंग प्रधानमंत्री के लिए सबसे कम मार्जिन वाली जीत रही। 

वाराणसी लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम

– नरेंद्र मोदी (भाजपा): 612970 वोट

– अजय राय (कांग्रेस): 460457 वोट

– अतहर जमाल लारी (बसपा): 33766 वोट

– नोटा: 8478 वोट

बीजेपी की सहयोगी अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल का कहना है कि विपक्ष ने जो नैरेटिव बनाया, उसका काउंटर करने के लिए वाराणसी में भाजपा की ओर से कोई नहीं था। आरएसएस ने कहा है कि जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन भाजपा का ज्यादा ध्यान कार्यकर्ताओं के सम्मान पर है। कहा जा रहा है कि कार्यकर्ताओं की अनदेखी के कारण ही ऐसा जनादेश आया।

यूपी में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार से बड़ा संगठन है। झारखंड में कार्यकर्ता सम्मान अभियान चलाया जा रहा है और 20 जुलाई को 20 हजार कार्यकर्ताओं के जुटान से अमित शाह का भाषण होगा। हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पन्ना प्रमुखों को सक्रिय करने पर जोर दिया जा रहा है।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ता दिलीप घोष को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग को लेकर बगावत पर उतर आए हैं। बंगाल में 17 जुलाई से बीजेपी की राज्य कमेटी की बैठक है। इसमें मनोहर लाल खट्टर को भेजने का प्लान है। पहले राजनाथ सिंह जाने वाले थे, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं है। इस खबर से कई नेताओं का हौसला टूट गया लगता है। वे कह रहे हैं कि ऐसी बैठकों में अमित शाह या जेपी नड्डा स्तर के नेताओं को आना चाहिए। कुछ नेताओं ने खुले आम दिलीप घोष को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर दी है और इसके लिए आंदोलन तक पर उतर आए हैं।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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