








🔎 चित्रकूट में दबंग भू माफिया संजय अग्रवाल ने फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र के सहारे शराब की दुकान और खदान पर कब्जा कर लिया। प्रशासनिक चूक और तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण का चौंकाने वाला खुलासा। पढ़िए पूरा मामला।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट। “नाम तो सुना ही होगा… संजय अग्रवाल!” दबंगई जिसकी पहचान है और फर्जीवाड़ा जिसका हथियार। ताज़ा खुलासा ये है कि इस विवादित भू माफिया ने न सिर्फ़ सार्वजनिक तालाब की जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर मकान ठोक डाला, बल्कि फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र के दम पर शराब की दुकान और पत्थर की खदान भी झटक ली।
अब सवाल ये उठता है
चरित्र इतना ‘दागदार’, फिर भी प्रमाण पत्र ‘दूध जैसा सफेद’?
दरअसल, राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार, शास्त्री नगर की गाटा संख्या 465 पर बने सार्वजनिक तालाब की जमीन पर करीब 30 लोगों ने मिलकर अवैध कब्जा कर लिया। इस गैंग के सरगना निकले संजय अग्रवाल पुत्र स्व. किशोरीलाल, उनके बड़े भाई राजेश्वर और छोटे भाई — तीनों ने मिलकर करीब एक बीघा तालाब की जमीन को घर बना डाला।
पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती…
तत्कालीन लेखपाल नेतराम शुक्ला ने इन भू माफियाओं के खिलाफ धारा 67 के तहत कार्यवाही की थी। नतीजतन, तहसीलदार कोर्ट ने बेदखली का आदेश भी दे दिया। मगर अफसोस, आदेश आज भी धूल फांक रहा है और अवैध कब्ज़ा जस का तस बरकरार है।
प्रशासन की चुप्पी: समझौता या साज़िश?
अब बड़ा सवाल ये है कि खनिज विभाग और आबकारी विभाग ने आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे कर दी? फर्जी चरित्र प्रमाण पत्र के आधार पर टेंडर जारी कर देना प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोलता है।
क्या करोड़ों की सरकारी जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर मकान बनाने वाले इन माफियाओं पर नगर पंचायत और तहसील प्रशासन अब भी आंखें मूंदे रहेगा?
📌 “समाचार दर्पण” के अगले अंक में इन माफियाओं की करतूतों पर परत-दर-परत होगा बड़ा खुलासा, इसलिए जुड़े रहिए!

Author: samachardarpan24
जिद है दुनिया जीतने की