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बांदा

अंबेडकर प्रतिमा स्थापना पर सियासी हलचल: शालिनी सिंह पटेल ने राष्ट्रपति को लिखा भावुक पत्र

नेता ने कहा—असंवैधानिक ताकतें सामाजिक समरसता को तोड़ने पर तुली हैं, सख्त कार्रवाई ज़रूरी

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जनता दल (यू) की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने ग्वालियर में डॉ. अंबेडकर प्रतिमा स्थापना में हो रही रुकावटों पर राष्ट्रपति को पत्र भेजा। उन्होंने सामाजिक न्याय और संविधान की गरिमा की रक्षा हेतु हस्तक्षेप की मांग की है।

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

बांदा | जनता दल (यूनाइटेड), उत्तर प्रदेश की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने ग्वालियर स्थित उच्च न्यायालय परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापना में आ रही रुकावटों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस विषय पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति को एक विस्तृत पत्र प्रेषित किया है, जिसमें संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और सामाजिक समरसता सुनिश्चित करने हेतु प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की मांग की गई है।

संविधान और सामाजिक न्याय की पुकार

शालिनी सिंह पटेल ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा लगाना केवल एक शिल्प कार्य नहीं, बल्कि यह भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के प्रति आस्था का प्रतीक है। उन्होंने इस प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न कर रहे तत्वों को संविधान विरोधी करार दिया और उन्हें राष्ट्र की एकता व समरसता के लिए खतरा बताया।

राष्ट्रपति से रखी तीन प्रमुख मांगें

अपने पत्र में उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से निम्नलिखित तीन मांगें की हैं:

1. मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिए जाएं कि ग्वालियर में अंबेडकर प्रतिमा की स्थापना शांतिपूर्वक और शीघ्र कराई जाए।

2. जो तत्व इस कार्य में बाधा डाल रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोर संवैधानिक कार्रवाई की जाए।

3. भविष्य में किसी भी महापुरुष की प्रतिमा स्थापना में असंवैधानिक रुकावट न आने पाए, इसके लिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं।

संवैधानिक संरक्षक से न्याय की उम्मीद

शालिनी सिंह पटेल ने इस बात पर भी जोर दिया कि महामहिम राष्ट्रपति संविधान के संरक्षक हैं और उनका हस्तक्षेप सांकेतिक नहीं, बल्कि प्रभावशाली और प्रेरणादायक होगा। उन्होंने इसे भारत के समावेशी लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की रक्षा का महत्वपूर्ण अवसर बताया।

व्यापक संदर्भ और सामाजिक विमर्श

ज्ञात हो कि ग्वालियर उच्च न्यायालय परिसर में अंबेडकर प्रतिमा लगाने की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन हाल ही में कुछ संगठनों द्वारा विरोध किए जाने की खबरें सामने आई हैं। इस विषय ने अब सामाजिक और राजनीतिक विमर्श को जन्म दे दिया है, जो केवल मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रहा।

लोकतांत्रिक संघर्ष का उदाहरण

शालिनी सिंह पटेल का यह कदम एक उदाहरण बनता है कि किस प्रकार लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और विधिसम्मत मार्ग से संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जा सकती है। यह पहल अन्य जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर सकती है कि वे भी संविधान और सामाजिक न्याय के लिए मुखर हों।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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