उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक युवक ने पत्नी और ससुराल पक्ष पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली। मरने से पहले उसने एक भावुक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया।
सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट
बांदा (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के गिरवां थाना क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां 28 वर्षीय युवक हबीब ने आत्महत्या कर ली। इससे पहले उसने एक भावुक वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उसने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए।
वीडियो में छलका दर्द
हबीब ने अपने अंतिम वीडियो में कहा, “मैं मर रहा हूं लेकिन लौटकर जरूर आउंगा। ऊपर वाले से दुआ करूंगा कि फिर से नीचे भेजे।” उसने बताया कि उसने अपनी पत्नी रुबीना (24) से सच्चा प्यार किया था, लेकिन बदले में धोखा और मानसिक प्रताड़ना मिली। वीडियो में हबीब ने रुबीना के अलावा सास मेहरून निशा और तीन सालों—नादिर, तसीम और खालिक पर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया।
घटना की पूरी पड़ताल
घटना रीगा गांव की है। हबीब, जो गांव में किराए की दुकान चलाता था, पिछले कुछ समय से पारिवारिक तनाव से जूझ रहा था। गुरुवार रात खाना खाने के बाद वह घर के पास बने एक कमरे में सोने गया। रात करीब दो बजे उसने वीडियो रिकॉर्ड कर पोस्ट किया और फिर तमंचे से खुद को गोली मार ली।
वीडियो में उसने यह भी स्पष्ट किया कि तमंचा उसके शराबी दोस्तों से लिया गया था, और परिवार को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने सरकार से अपील की कि “सिर्फ लड़कियों की नहीं, लड़कों के अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए।”
सुबह मिला शव, पुलिस जांच में जुटी
वीडियो वायरल होने के बाद एक रिश्तेदार ने परिजनों को सूचना दी। जब पिता सुबराती मौके पर पहुंचे, तो हबीब का शव खून से लथपथ बेड पर पड़ा मिला। पुलिस को सूचित किया गया, जिसके बाद फोरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड को मौके पर बुलाया गया।
क्षेत्राधिकारी नरैनी अंबुजा त्रिवेदी ने बताया कि, “मामले की हर पहलू से जांच की जा रही है। मृतक द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की जांच होगी।”
पत्नी का पक्ष
घटना की जानकारी मिलने पर पत्नी रुबीना, जो पिछले दो महीनों से मायके में रह रही थी, भी पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंची। उसका कहना है कि “हबीब ने खुद ही मुझे मायके छोड़ा था और साथ में पैसे भी दिए थे।”
यह मामला न सिर्फ एक पारिवारिक कलह का दुखद परिणाम है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मानसिक स्वास्थ्य और पुरुषों के अधिकारों की उपेक्षा समाज में अब भी एक गंभीर मुद्दा है। हबीब के अंतिम शब्द समाज और सरकार दोनों के लिए चिंतन का विषय हैं।