उत्तर प्रदेश में भाजपा ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ शुभम द्विवेदी के मामले पर पोस्टर वार छेड़ दिया है। सपा ने इसे भाजपा की सोची-समझी साजिश करार दिया। जानिए पूरा मामला।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर पोस्टर वार तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए राजधानी लखनऊ में कई पोस्टर लगाए हैं।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात न करने को लेकर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनका शुभम के परिवार से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है। इसी बयान को लेकर भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री अमित त्रिपाठी ने गहरी नाराजगी जाहिर की है और अखिलेश पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।
पोस्टर में अखिलेश पर लगाए गंभीर आरोप
इसके अलावा, भाजपा द्वारा लगाए गए पोस्टर में लिखा गया है,
“शर्म करो अखिलेश यादव जी! खूंखार अपराधी मुख्तार अंसारी की मौत पर संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन आतंकी हमले में शहीद हुए हिंदू शुभम द्विवेदी के घर क्यों नहीं गए? फर्क साफ है, शायद आतंकियों से रिश्ता है खास! हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों?”
इस तरह के तीखे सवालों के जरिए भाजपा ने अखिलेश यादव की नीयत पर प्रश्नचिन्ह लगाने की कोशिश की है।
अखिलेश यादव ने दिया पलटवार
दूसरी ओर, अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि जब वह कहीं जाते हैं तो भाजपा उन पर अनर्गल आरोप लगाने लगती है। उन्होंने कहा कि शुभम द्विवेदी के परिवार से उनका कोई व्यक्तिगत रिश्ता नहीं है, इसलिए वह वहां नहीं गए। साथ ही, उन्होंने भाजपा पर राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को तूल देने का आरोप लगाया।
सपा ने भाजपा पर लगाया साजिश का आरोप
वहीं, समाजवादी पार्टी ने इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा की एक “सोची-समझी साजिश” करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि भाजपा असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे हथकंडे अपना रही है। इसके अलावा, सपा ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रही है।
कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश की राजनीति में चुनावी माहौल के बीच पोस्टर वार ने नया मोड़ ले लिया है। जहां एक ओर भाजपा अखिलेश यादव की कथित ‘दोहरी राजनीति’ पर सवाल उठा रही है, वहीं सपा इसे भाजपा की रणनीति का हिस्सा बता रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर सियासी घमासान और तेज होने की संभावना है।