
चित्रकूट,तरौंहा। नन्हें मुन्ने बच्चों के समग्र विकास के लिए समर्पित एक विश्वस्तरीय शैक्षिक पहल, माई छोटा स्कूल की नई शाखा का भव्य शुभारंभ तरौंहा में किया गया। इस विशेष अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय गणमान्य नागरिक, अभिभावक तथा समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्वान पंडित सूरज प्रसाद पांडेय द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुई, जिसने वातावरण को पवित्र और प्रेरणादायक बना दिया। इसके उपरांत, बुंदेली प्रेस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्र प्रकाश द्विवेदी और सभासद श्री शंकर प्रसाद यादव ने फीता काटकर विद्यालय का औपचारिक उद्घाटन किया।
इस मौके पर श्री द्विवेदी ने कहा,
“माई छोटा स्कूल केवल एक शिक्षण संस्था नहीं, बल्कि यह बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण की दिशा में एक सार्थक और सशक्त पहल है। एक बच्चा ही भविष्य का नागरिक और राष्ट्र निर्माता होता है। यह स्कूल बच्चों को उनके सपनों को साकार करने का अवसर प्रदान करेगा।”
वहीं, सभासद श्री यादव ने भी अपनी बात रखते हुए कहा,
“यह स्कूल खेल-खेल में शिक्षा देने की प्रणाली से बच्चों में सीखने की रुचि और शिक्षा के प्रति सकारात्मक भावना विकसित करेगा। निश्चित रूप से यह बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होगा।”
इसके साथ ही, विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती शोभा गुप्ता ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया और अपने वक्तव्य में कहा कि वे बच्चों में नैतिक और सामाजिक संस्कारों को विकसित करते हुए उन्हें एक आदर्श नागरिक के रूप में तैयार करने का प्रयास करेंगी।
उन्होंने यह भी बताया कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए विशेष स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत मात्र ₹100 के वार्षिक प्रीमियम पर ₹1000 तक का निःशुल्क इलाज और गंभीर स्थिति में ₹10000 तक की चिकित्सा सहायता विद्यालय द्वारा दी जाएगी।
इतना ही नहीं, हर महीने “पोषण दिवस” मनाया जाएगा, जिसमें बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान कर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
कार्यक्रम के दौरान विवेक गुप्ता, मोनिका गुप्ता, अभिलाष सोनी, नरेश चंद्र सोनी, अमृता गुप्ता और बीएल सरोज सहित अनेक अभिभावक और नन्हे-मुन्ने बच्चे उपस्थित रहे, जिन्होंने इस शुभारंभ को और भी खास बना दिया।
अंततः, माई छोटा स्कूल के इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य, पोषण और संस्कारों का समन्वय ही एक सशक्त और उज्ज्वल भविष्य की नींव रखता है।
➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट