
चित्रकूट के रैपुरा रेंज में रानीपुर टाइगर रिजर्व के अंतर्गत वन विभाग की लापरवाही और खनन माफिया की मिलीभगत से अवैध खनन तेज़ी से फैल रहा है। पहाड़ों का अस्तित्व संकट में, प्रशासन चुप।
चित्रकूट। रानीपुर टाइगर रिजर्व के रैपुरा रेंज में अवैध खनन का धंधा दिन-ब-दिन तेज़ होता जा रहा है। एक ओर जहां स्थानीय प्रशासन इसे रोकने में नाकाम साबित हो रहा है, वहीं दूसरी ओर खनन माफिया और वन विभाग के कुछ अधिकारी आपसी सांठगांठ से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं।
भौंरी पहाड़ में धड़ल्ले से खनन जारी
विशेषकर रैपुरा रेंज के भौंरी पहाड़ में भारी मात्रा में मोरम और पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह सब कुछ वन दरोगाओं की नज़र के सामने हो रहा है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो कुछ वन अधिकारियों की मिलीभगत से खनन माफिया को खुली छूट दी गई है, बदले में भारी रकम की उगाही की जा रही है।
कई गांवों में फैला है अवैध खनन का जाल
गांव कौबरा, हनुवा और गढ़चपा में भी अवैध खनन का नेटवर्क सक्रिय है। इन इलाकों में ट्रैक्टर और जेसीबी मशीनें दिन-रात खनिज ले जाती दिखाई देती हैं। कहा जा रहा है कि रैपुरा रेंज के वन दरोगा राम औतार की शह पर यह सब चल रहा है।
भ्रष्टाचार के पुराने मामले भी जुड़े हैं दरोगा से
गौरतलब है कि राम औतार पूर्व में भी रैपुरा रेंज में तैनात रह चुके हैं और तब भी इनके ऊपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। तबादले के बावजूद इनकी वापसी ने इलाके में एक बार फिर से खनन को बढ़ावा दिया है। यही नहीं, स्कूल बच्चों के नाम पर फर्जी भुगतान करवाने जैसे मामलों में भी इनका नाम सामने आ चुका है।
प्रशासनिक उदासीनता बनी समस्या की जड़
वहीं रानीपुर टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक और क्षेत्रीय वन अधिकारी भी इस पूरे मामले में कार्रवाई करने में विफल नजर आ रहे हैं। उनकी चुप्पी से स्पष्ट होता है कि या तो उन्हें पूरी जानकारी नहीं है या फिर वे जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं।
अगर जल्द ही रैपुरा रेंज में अवैध खनन पर रोक नहीं लगाई गई, तो यहां के प्राकृतिक संसाधनों के साथ-साथ वन्य जीवन भी गंभीर खतरे में पड़ जाएगा। जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस बढ़ते पर्यावरणीय अपराध पर लगाम लग सके।
➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट