
चित्रकूट। जल जीवन मिशन और हर घर नल योजना के बावजूद ग्रामीण इलाकों में पेयजल समस्या गंभीर बनी हुई है। पाइपलाइन बिछने के बाद भी पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। जानिए कैसे सरकारी योजनाओं में हो रहा है भ्रष्टाचार
पेयजल संकट को लेकर सरकार की तमाम योजनाओं और वादों के बावजूद जमीनी हालात बेहद चिंताजनक हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकारी दावे हकीकत से कोसों दूर हैं।
जल जीवन मिशन: योजना सफल या सिर्फ दावा?
सरकार द्वारा ‘जल जीवन मिशन’ और ‘हर घर नल’ योजना की शुरुआत इसी उद्देश्य से की गई थी कि हर ग्रामीण घर तक स्वच्छ पानी की सुविधा पहुंचे। हालांकि, हकीकत इसके उलट नजर आ रही है। उदाहरण के तौर पर, जिला मुख्यालय से सटे ग्राम पंचायत कालूपुर पाही में पाइपलाइन तो बिछा दी गई, लेकिन अब तक पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है।
आश्चर्य की बात यह है कि जल जीवन मिशन का कार्यालय इसी ग्राम पंचायत के पास स्थित है, फिर भी पानी की सप्लाई ठप है। अगर मुख्यालय के पास स्थित गांव में ऐसा हाल है, तो दूरदराज के इलाकों की स्थिति की कल्पना करना मुश्किल नहीं।
पठारी क्षेत्र में संकट गहराया
जिले के पठारी क्षेत्रों जैसे मानिकपुर और बरगढ़ में हालात और भी गंभीर हैं। यहां अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हैं और जिनमें पानी आता है, उनका वॉटर लेवल गिर चुका है। ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है।
लाखों के खर्च के बाद भी हाल बेहाल
सरकारी रिकॉर्ड्स के अनुसार, पेयजल संकट से निपटने के लिए ग्राम पंचायतों को हैंडपंप की मरम्मत, री-बोरिंग और समर्सिबल पंप की स्थापना के लिए लाखों रुपये दिए गए हैं। लेकिन धरातल पर ये योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं। सदर ब्लॉक कर्वी की कई पंचायतें जैसे बारा माफी, गढ़ीघाट, परसौजा, चिल्ला माफी, मकरी पहरा और भंभौर में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
यहां पर फर्जी बिल, वाउचर और सप्लायर्स की मिलीभगत से सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग हुआ है। वहीं, ग्रामीण अब भी बूंद-बूंद पानी के लिए जूझ रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
अब सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन को इस गंभीर स्थिति की जानकारी है, तो अब तक कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या पेयजल संकट पर सरकार और प्रशासन की जवाबदेही तय होगी या फिर भ्रष्टाचार की यह काली छाया ग्रामीणों को यूं ही पानी के लिए तरसाती रहेगी?
पेयजल की समस्या केवल व्यवस्था की खामियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह लाखों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है। अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और गहराता जाएगा। ज़रूरत है पारदर्शिता, जवाबदेही और ठोस कार्यवाही की।
➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट