संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट- बुंदेलखंड के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार जनपद चित्रकूट में पेयजल की समस्या इतनी जटिल नहीं है जितना कि प्रसारित व प्रचारित किया जाता है l
चित्रकूट जिले के पाठा क्षेत्र सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराए जाने के कई साधन उपलब्ध हैं लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही व जन प्रतिनिधियों की मनमानी के चलते आज भी लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसते हुए नजर आ रहे हैं l
सरकार द्वारा पेयजल व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए समय समय पर आवश्यक कदम उठाए जाते रहे हैं लेकिन सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते आज तक पेयजल व्यवस्था में सुधार नहीं हो सका है l
पाठा क्षेत्र में पानी के संकट को दूर करने के लिए सन 1973 में पाठा जलकल की शुरुआत की गई थी जिसकी हालत आज देखते ही बनती है जल संस्थान की लापरवाही के चलते यह योजना अब कागजों तक ही सीमित रह गई है l
बसपा शासन काल में पाठा क्षेत्र में पेयजल व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए गांव गांव पानी की टंकियों का निर्माण व पेयजल आपूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाने का काम किया गया था लेकिन आज इन टंकियों व पाइप लाइन की हालत देखते ही बन रही है इन टंकियों के निर्माण व पाइप लाइन बिछाने के नाम पर करोड़ों रुपए सरकारी धन का गबन किया गया था व मानक विहीन कार्य कराकर सरकारी धन का बंदरबाट किया गया था इन टंकियों का निर्माण इतना घटिया सामग्री से कराया गया था कि ज्यादातर टंकियों में लीकेज होने लगा है जिसके कारण पेयजल आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई है l
वहीं बसपा शासन काल में ही स्वजल धारा परियोजना की शुरुआत की गई थी जिसमे ग्रामीणों को हर घर में पानी की व्यवस्था उपलब्ध कराने का हवाला दिया जाता था लेकिन आज स्वजल धारा परियोजना के तहत किए गए बोर या तो धराशाई हो गए हैं या फिर निजी हाथों में संचालित होकर सिंचाई के साधन के रूप में उपलब्ध है वहीं जल निगम (यूनिसेफ) द्वारा जिले में बड़ी मात्रा में हैंड पंप लगाने का काम किया गया है लेकिन ज्यादातर हैंडपंप कागजों में ही संचालित हैं जमीनी हकीकत में यह हैंड पंप नजर नहीं आते हैं जल निगम (यूनिसेफ) द्वारा पेयजल व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया था l
वहीं ग्राम पंचायतों में पेयजल आपूर्ति के लिए हैंडपंप संचालित हैं व री बोर के नाम पर नए हैंडपंप लगाने का काम किया जा रहा है वहीं ग्रामीणों को पेयजल आपूर्ति के लिए हर ग्राम पंचायतों में पेयजल संकट को दूर करने के लिए टैकरों की व्यवस्था की गई है लेकिन ज्यादातर टैंकर पेयजल की आपूर्ति नहीं करते हैं लेकिन फिर भी कागजी कोरम पूरा कर टैंकरों से पेयजल आपूर्ति के नाम पर सरकारी धन का गबन किया जा रहा है l
जिले के पठारी क्षेत्र से पेयजल समस्या को दूर करने के लिए जिला प्रशासन व जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रयास तो किए जाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत में यह प्रयास कहीं नजर नहीं आते हैं l
पेयजल समस्या को दूर करने के लिए सरकार जल जीवन मिशन हर घर नल योजना की शुरुआत की गई है जिससे ग्रामीणों को हर घर में पानी की व्यवस्था हो सके जिसके लिए सरकार बड़ी तेजी से इस व्यवस्था को लागू करने में जुटी है जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जिले के सामान्य इलाकों सहित जिले के पठारी क्षेत्र में पानी की व्यवस्था हो जाएगी व पेयजल समस्या से निजात मिल जाएगी l
लेकिन कहीं न कहीं यह भी डर सता रहा है कि अगर सरकार की जन कल्याणकरी योजना जल जीवन मिशन हर घर नल योजना भी जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही व जन प्रतिनिधियों की मनमानी की शिकार व भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी तो लोग इसी तरह बूंद बूंद पानी के लिए तरसते रहेंगे l
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."