जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
मऊ जिले के परदहा ब्लॉक में पत्रकारों के खिलाफ दर्ज फर्जी एफआईआर का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने कड़ा रुख अपनाते हुए पत्रकारों के साथ खड़े होने का आश्वासन दिया।
घटना के अनुसार, रणवीरपुर के कंपोजिट विद्यालय की एक शिक्षिका पर आरोप है कि वह नियमित रूप से विद्यालय नहीं जाती थीं। जब इस मामले को स्थानीय पत्रकारों ने उजागर किया और खबर प्रसारित की, तो शिक्षिका ने उल्टा पत्रकारों पर फर्जी एफआईआर दर्ज करवा दी। इस घटना ने पत्रकारों के बीच आक्रोश फैला दिया।
मंत्री ने दिया निष्पक्ष जांच का आदेश
मामले की जानकारी मिलते ही मंत्री अनिल राजभर मऊ पहुंचे और पत्रकारों से मुलाकात की। उन्होंने जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से इस प्रकरण में बातचीत की और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर पत्रकार सच्चाई उजागर करते हैं, तो उनके खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई अस्वीकार्य है।
मंत्री ने शिक्षिका पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “अगर पत्रकारों की खबर से शिक्षिका को समस्या है और वह अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करना चाहतीं, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ले जाया जाएगा ताकि जल्द से जल्द न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं
मंत्री ने कहा कि पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं और उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की अन्यायपूर्ण कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके इस बयान से पत्रकार समुदाय को बड़ा संबल मिला है और उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।
शिक्षिका पर आरोप और पत्रकारों पर फर्जी एफआईआर
जानकारी के अनुसार, रणवीरपुर के कंपोजिट विद्यालय की शिक्षिका पर लंबे समय से यह आरोप था कि वह विद्यालय नहीं जाती थीं और अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रही थीं। जब स्थानीय पत्रकारों ने इस मामले की खबर प्रकाशित की, तो शिक्षिका ने अपने बचाव में पत्रकारों पर ही फर्जी एफआईआर दर्ज करवा दी।
इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सच्चाई को उजागर करने वाले पत्रकारों को दमन का शिकार होना पड़ेगा। फिलहाल मंत्री अनिल राजभर के हस्तक्षेप से यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचेगा और निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा रही है।