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मऊ

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से बदल जाएगा देश का चुनावी चेहरा – मऊ से उठी मांग

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➡️जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

मऊ जिले में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई, जिसमें भाजपा नेता रमेश सिंह सहित कई प्रबुद्धजनों ने इसका समर्थन करते हुए इसे देशहित में आवश्यक कदम बताया।

मऊ में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर संगोष्ठी, प्रबुद्ध वर्ग ने जताई सहमति

मऊ, उत्तर प्रदेश – देशभर में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) की गूंज के बीच मऊ जिले में भी इस विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राजनीतिक, सामाजिक और बौद्धिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध रहा, जिसमें कई प्रबुद्धजनों ने भाग लेकर अपने विचार रखे।

भाजपा नेता रमेश सिंह ने दिया विचारों का नेतृत्व

इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह रहे। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा,

“संगठन में सभी एक समान होते हैं। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का विचार देशहित में अत्यंत आवश्यक है। वर्तमान सरकार निरंतर ऐसे निर्णय ले रही है जो देश को नई दिशा प्रदान कर रहे हैं—चाहे वो नए कानून बनाना हो या पुराने कानूनों में आवश्यक सुधार करना।”

उन्होंने आगे कहा कि इस विचारों को मूर्त रूप देने के लिए देशव्यापी सहमति की आवश्यकता होगी और इस दिशा में प्रबुद्ध वर्ग की भूमिका निर्णायक होगी।

भाजपा जिलाध्यक्ष ने बताया समाधान का मार्ग

वहीं, भाजपा जिलाध्यक्ष रामाश्रय मौर्य ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा,

“यदि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू हो जाता है, तो इससे देश की कई जटिल समस्याओं का स्वतः समाधान संभव है। केंद्र सरकार इस दिशा में सभी दलों और वर्गों की सहमति से कदम बढ़ा रही है।”

सीए, चिकित्सक और व्यापारी वर्ग ने भी किया समर्थन

संगोष्ठी में भाग लेने वाले विभिन्न क्षेत्र के प्रबुद्ध जनों ने भी अपने विचार रखते हुए इस पहल का समर्थन किया।

चार्टर्ड अकाउंटेंट दीपाली बंसल ने स्पष्ट रूप से कहा,

“‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ समय, धन और संसाधनों की बड़ी मात्रा में बचत करेगा। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाएं भी सरल होंगी।”

वहीं, डा. संजय सिंह ने कर्मचारी और व्यापारी वर्ग की पीड़ा को उजागर करते हुए कहा,

“लगातार चुनावों की प्रक्रिया से सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और व्यापारियों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। एक साथ चुनाव होने से यह बोझ कम होगा।”

डा. चंद्रप्रकाश राय ने जनमत की ओर इशारा करते हुए कहा,

“देश के प्रबुद्ध नागरिकों का बड़ा वर्ग इस पहल के पक्ष में है। इससे न केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि लोकतंत्र की प्रभावशीलता भी बढ़ेगी।”

व्यापारी वर्ग और राष्ट्रवादी विचारधारा से भी मिला समर्थन

व्यापारी बालकृष्ण थरड ने कहा,

“‘एक देश, एक चुनाव’ से देश का उद्योग और व्यापार अधिक स्थिरता के साथ विकसित हो सकेगा। बार-बार चुनावों के कारण बाजार की अनिश्चितता समाप्त होगी।”

साथ ही, कौश्तूक नारायण मिश्र ने राष्ट्रवादी दृष्टिकोण से विचार रखते हुए कहा,

“यह विषय अत्यंत गंभीर और राष्ट्रहित से जुड़ा है। लोकतंत्र का समर्थन करने वाले सभी राष्ट्रप्रेमी इसे स्वीकार करेंगे। जो स्वयं अपनी पार्टी में लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करते हैं, उनका देश में लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाना हास्यास्पद है।”

राष्ट्र के विकास की दिशा में सार्थक पहल

संगोष्ठी में भाग लेने वाले सभी वक्ताओं ने एकमत से ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को समय की मांग बताया। यह स्पष्ट है कि यदि यह प्रणाली लागू होती है तो इससे न केवल राजनीतिक स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि देश के आर्थिक, सामाजिक और प्रशासनिक संसाधनों का भी कुशल प्रबंधन संभव हो सकेगा।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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