ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के संभल जिले की धरती बार-बार अपने भीतर छिपे इतिहास के अनमोल राज़ खोल रही है। हाल ही में, जिले के चंदौसी इलाके के लक्ष्मण गंज क्षेत्र में करीब 250 फीट गहरी और तीन मंजिला विशालकाय रानी की बावड़ी मिली है। यह बावड़ी अब तक एक सुरंग और चार कमरों के साथ उजागर हुई है।
खुदाई और ऐतिहासिक साक्ष्य
लक्ष्मण गंज क्षेत्र में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) और स्थानीय प्रशासन ने नक्शे के आधार पर खुदाई शुरू की। क्षेत्रीय नायब तहसीलदार धीरेंद्र सिंह के अनुसार, एक शिकायत पत्र के आधार पर इलाके का नक्शा खंगाला गया। नक्शे में जिस स्थान पर बावड़ी दिखी, वहां खुदाई कराई गई, जिससे यह महत्वपूर्ण खोज सामने आई।
बताया जाता है कि यह बावड़ी सहसपुर के राजा की महारानी सुरेंद्र बाला देवी की रियासत का हिस्सा थी। इतिहासकारों का मानना है कि बावड़ी का निर्माण 1857 से पहले हुआ था। यह क्षेत्र कभी हिंदू बहुल और सैनी समाज के लोगों का प्रमुख निवास स्थान था। कालांतर में, इलाके की पहचान बदल गई, और पुराने धार्मिक स्थलों और भवनों को मिट्टी से भरकर बंद कर दिया गया।
संभल की ऐतिहासिक परतें खुल रही हैं
14 दिसंबर से संभल जिले में पुरातत्व और इतिहास की परतें खुलने का सिलसिला जारी है। सबसे पहले खग्गुसराय के दीपा राय क्षेत्र में खुदाई के दौरान 46 साल पुराना शिव मंदिर और उसके आंगन में एक कुआं मिला। इसके बाद सरायतरीन इलाके में राधा-कृष्ण का मंदिर उजागर हुआ। अब रानी की बावड़ी की यह खोज जिले के इतिहास के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है।
बावड़ी की संरचना और संभावनाएं
यह बावड़ी अपने आप में वास्तुकला का एक अद्वितीय नमूना है। तीन मंजिला संरचना के साथ इसमें अब तक एक सुरंग और चार कमरे मिले हैं। अधिकारियों के मुताबिक, नक्शे में दिखाए गए क्षेत्र की पूरी खुदाई की जाएगी। इस बावड़ी से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की पड़ताल की जा रही है।
संभल में विवाद और खोज की कड़ी
संभल में इतिहास और धार्मिक स्थलों की खोज का सिलसिला एक विवाद से शुरू हुआ। 19 नवंबर को स्थानीय अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराया गया। हिंदू समुदाय का दावा है कि यह मस्जिद नहीं, बल्कि श्रीहरिहर मंदिर है। सर्वे के दौरान मुस्लिम समुदाय ने इसका विरोध किया, जिससे तनाव बढ़ गया। 22 नवंबर को इलाके में हिंसा हुई, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई।
इसके बाद, 14 दिसंबर को विभिन्न क्षेत्रों में खुदाई शुरू हुई, जिससे प्राचीन मंदिर, बावड़ियां और अन्य ऐतिहासिक साक्ष्य सामने आ रहे हैं। यह खोजें न केवल संभल जिले के इतिहास को पुनः परिभाषित कर रही हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति के समृद्ध अतीत को भी उजागर कर रही हैं।
महत्व और भविष्य
संभल में मिली यह बावड़ी न केवल जिले के ऐतिहासिक महत्व को स्थापित करती है, बल्कि यह भारतीय पुरातत्व के लिए भी एक महत्वपूर्ण खोज है। यह संरचना अतीत की महान स्थापत्य कला और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है। स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग की यह खोज क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति पर एक नई रोशनी डालने का कार्य कर रही है।
आने वाले समय में इस बावड़ी और अन्य प्राचीन स्थलों के संरक्षण और अध्ययन से भारतीय इतिहास के कई अनकहे पहलुओं का खुलासा हो सकता है।