कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की पुरानी सड़कों के नवीनीकरण का मामला विवादों में घिरता जा रहा है। ठेकेदारों और लोक निर्माण प्रशासन के बीच इस मुद्दे पर टकराव की स्थिति बन गई है। ठेकेदारों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक नवीनीकरण के बाद पांच साल के रखरखाव की अनिवार्यता को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक वे सड़कों के नवीनीकरण कार्यों का बहिष्कार करेंगे।
नवीनीकरण की नई शर्तों का विरोध
लोक निर्माण विभाग ने सड़कों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत, नई सड़कों के निर्माण के बाद, उसी ठेकेदार को पांच वर्षों तक सड़क का रखरखाव भी करना होगा। हालांकि, नई सड़कों के निर्माण में इस शर्त को ठेकेदारों ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन पुरानी सड़कों के नवीनीकरण के मामले में वे इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
पुरानी सड़कों की स्थिति और ठेकेदारों की चिंता
उत्तर प्रदेश ठेकेदार कल्याण समिति के अध्यक्ष शरद कुमार सिंह और महामंत्री राजू वर्मा का कहना है कि प्रदेश की कई पुरानी सड़कों का बेस पूरी तरह से खराब हो चुका है। नवीनीकरण के दौरान केवल ढाई सेंटीमीटर मोटी परत बिछाने का प्रावधान किया गया है। ठेकेदारों का मानना है कि इतनी पतली परत वाहनों के भार को पांच साल तक नहीं सह पाएगी और सड़कें जल्दी खराब हो जाएंगी।
ठेकेदारों ने इस स्थिति को देखते हुए पांच साल तक सड़कों के अनुरक्षण (रखरखाव) की शर्त हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब सड़कों की मूल संरचना ही कमजोर है, तो पांच साल तक उनकी मरम्मत की जिम्मेदारी लेना उनके लिए घाटे का सौदा होगा।
नवीनीकरण की शर्तों में असमानता
प्रदेश के कुछ जिलों में नवीनीकरण कार्य के लिए आमंत्रित निविदाओं में पांच साल के रखरखाव की शर्त हटा दी गई है, जबकि कई जिलों में यह शर्त अब भी लागू है। इस असमानता के चलते ठेकेदारों में असंतोष बढ़ रहा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष एसपी सिंह का कहना है कि ठेकेदारों की मांगों के बारे में शासन को सूचित कर दिया गया है। इस मुद्दे पर निर्णय जल्द लिए जाने की संभावना है।
वहीं, प्रमुख सचिव अजय चौहान ने ठेकेदारों की मांगों पर विचार करने की बात कही है। उन्होंने बताया कि विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि ढाई सेंटीमीटर की परत के साथ सड़क कितने समय तक सही स्थिति में रह सकती है। अगर जांच में ठेकेदारों की मांग उचित पाई जाती है, तो नवीनीकरण के बाद पांच साल तक रखरखाव की शर्त को हटाने पर विचार किया जाएगा।
सामूहिक बहिष्कार की चेतावनी
अगर ठेकेदारों की मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो नवीनीकरण कार्यों का सामूहिक बहिष्कार हो सकता है। इससे प्रदेश में सड़कों के नवीनीकरण की योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
इस मुद्दे का समाधान ढूंढने के लिए प्रशासन और ठेकेदारों के बीच जल्द ही एक बैठक होने की संभावना है।