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लखनऊ

रिटायर वाले दिन बीडीओ ने कर दिया 1.65 करोड़ का बड़ा खेल, जब खुली पोल तो…

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

लखनऊ के चिनहट ब्लॉक में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें सेवानिवृत्ति के दिन ही खंड विकास अधिकारी ने करोड़ों रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दे डाली। 30 सितंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए खंड विकास अधिकारी नरेंद्र बाबू ने अपने आखिरी कार्य दिवस पर 34 पक्के विकास कार्यों को मंजूरी प्रदान कर दी। इन कार्यों की कुल लागत 1.65 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

इस स्वीकृति की सबसे बड़ी अनियमितता यह थी कि जिन कार्यों को मंजूरी दी गई, उनके लिए बजट की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके अलावा, जिन सरकारी नियमों के तहत निर्माण कार्यों को स्वीकृत किया जाना चाहिए था, उनका भी पालन नहीं किया गया।

नियमों की धज्जियां

नियमों के अनुसार, निर्माण कार्यों में मजदूरी और सामग्री का अनुपात 60:40 होना चाहिए। अर्थात्, कुल खर्च का 60 प्रतिशत हिस्सा मजदूरी पर और 40 प्रतिशत हिस्सा सामग्री व निर्माण पर होना चाहिए। लेकिन, खंड विकास अधिकारी नरेंद्र बाबू ने इस नियम की पूरी तरह से अनदेखी की। जांच के दौरान यह पाया गया कि श्रमांश के लिए केवल 33.29 लाख रुपये का ही खर्च किया गया, जबकि सामग्री मद में 22.58 लाख रुपये का व्यय दर्ज हुआ।

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इसके बावजूद, बिना किसी बजट प्रावधान के 1.65 करोड़ रुपये के पक्के निर्माण कार्यों को स्वीकृति दे दी गई। इन कार्यों को स्वीकृत करते समय वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति भी दे दी गई, जो प्रथम दृष्टया मनरेगा एक्ट और शासनादेश के खिलाफ है।

जांच में खुली पोल

मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अजय जैन को जब इस घोटाले की जानकारी मिली, तो उन्होंने सभी 34 विकास कार्यों पर तत्काल रोक लगा दी। साथ ही, जिन ठेकेदारों और कार्यदायी संस्थाओं को ये काम सौंपे गए थे, उन्हें भी निर्देश दिया गया कि वे कार्य को तुरंत रोक दें। मस्टररोल जारी करने और सामग्री की खरीद पर भी पाबंदी लगा दी गई है।

विस्तृत जांच के आदेश

मुख्य विकास अधिकारी अजय जैन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी की अध्यक्षता जिला विकास अधिकारी करेंगे और इसमें जिला ग्राम विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक को भी शामिल किया गया है।

कमेटी द्वारा विस्तृत जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। जांच से यह भी स्पष्ट होगा कि इस घोटाले में और कौन-कौन लोग शामिल थे तथा सरकारी धन के दुरुपयोग की पूरी योजना कैसे बनाई गई।

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घोटाले के असर और निहितार्थ

इस प्रकार की वित्तीय अनियमितताओं से न केवल विकास कार्यों में बाधा आती है, बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लग जाता है। यदि इस घोटाले का समय रहते खुलासा न हुआ होता, तो इससे क्षेत्र के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता और सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचता।

मुख्य विकास अधिकारी ने यह स्पष्ट किया है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त निगरानी रखी जाएगी।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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