google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
राजनीति

2024 के चुनावी दंगल में चुनाव आयोग की नई चाल: यूपी समेत कई राज्यों में बदलती तारीखें

IMG-20250425-WA1620
IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
Green Modern Medical Facebook Post_20250505_080306_0000
IMG-20250513-WA1941
214 पाठकों ने अब तक पढा

अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

भारत के राजनीतिक इतिहास में आम चुनावों की प्रक्रिया आमतौर पर शांतिपूर्ण और स्थिर रही है, लेकिन 2024 के चुनावों में यह परंपरा टूटती नजर आ रही है। इस बार चुनाव आयोग ने मतदान की तारीखों में अंतिम क्षणों में बदलाव करके राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। जब मतदान की तारीख में महज एक हफ्ता बचा था, तब आयोग ने अचानक उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के चुनावी कार्यक्रम में फेरबदल कर दिया।

तीन सीटों की अचानक तारीख बदलने का मामला

चुनाव आयोग ने 4 नवंबर को होने वाले मतदान की तारीख को बदलकर 13 नवंबर कर दिया। इस फैसले ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को हिला कर रख दिया, खासकर जब 15 अक्टूबर को जारी की गई अधिसूचना में अयोध्या की मिल्कीपुर सीट का नाम ही गायब था। इससे पहले घोषित 48 विधानसभा क्षेत्रों और दो नामांकन क्षेत्रों में से केवल यूपी की कुछ सीटें ही इस बदलाव से अछूती रहीं।

20 नवंबर की नई तारीख: बीजेपी की चाल?

अब, पंजाब के चार, केरल के एक और यूपी के नौ विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान की तारीख 20 नवंबर कर दी गई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी किसी भी तरह से अपने चुनावी समीकरण को सुधारने के फिराक में है। यूपी के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ इंडिया गठबंधन (I.N.D.I.A. Alliance) का समर्थन बढ़ता दिख रहा है, जिससे बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।

उत्तर प्रदेश में बीजेपी की चिंता: योगी आदित्यनाथ की अग्निपरीक्षा

उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए सबसे अहम राज्य बनकर उभरा है। पिछले आम चुनाव में बीजेपी को यहां बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था, जिसमें अयोध्या की प्रतिष्ठित सीट भी शामिल है। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में यूपी भाजपा सरकार के लिए मिल्कीपुर जैसे विधानसभा क्षेत्र अब “नाक का सवाल” बन गए हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने पूरी छूट दे दी है। वे लगातार संघ प्रमुख मोहन भागवत और अन्य वरिष्ठ नेताओं से बैठकें कर रहे हैं। भाजपा के लिए मथुरा, करहल, सीसा मऊ, कुंदरकी, ग़ाज़ियाबाद, फूलपुर, मझवां, कटहरी और मीरापुर की सीटें चुनौतीपूर्ण बन गई हैं। इनमें से अधिकांश क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी का प्रभाव मजबूत है और अचानक आम आदमी पार्टी की एंट्री ने मुकाबला और रोचक बना दिया है।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी-कांग्रेस की सीधी टक्कर

मध्य प्रदेश की बुधनी सीट, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सीट रही है, भी उपचुनाव के लिए तैयार है। कांग्रेस ने यहां पूर्व नेता प्रिंस पटेल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं छत्तीसगढ़ की रायपुर दक्षिण सीट पर भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर है। बीजेपी ने यहां पूर्व सांसद सुनील सोनी को टिकट दिया है जबकि कांग्रेस ने युवा नेता आकाश शर्मा को उतारा है।

बिहार की राजनीति में पीके की एंट्री

बिहार की तरारी, रेस्तरां, बेलागंज और इमामगंज विधानसभा सीटें आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर की जन सूरज पार्टी का यह पहला बड़ा इम्तिहान होगा। यहां राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है।

पंजाब और राजस्थान: आप और कांग्रेस की नई रणनीति

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार होने के कारण कांग्रेस और बीजेपी को अलग रणनीति अपनानी पड़ रही है। गिदड़बाहा, गुरदासपुर और बरनाला जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर मुकाबला कड़ा हो चुका है। गिदड़बाहा से कांग्रेस ने राजा वडिंग की पत्नी को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने मनप्रीत बादल को। इसी प्रकार, राजस्थान में दौसा और खींवसर जैसी सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है।

यूपी में योगी-मौर्य की खींचतान

लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश के 80 सीटों में से बीजेपी को 33 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन 2024 के चुनाव में खराब प्रदर्शन की आशंका से भाजपा की अंदरूनी राजनीति में हलचल मच गई है। योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच कथित खींचतान की खबरें भी उभरकर सामने आ रही हैं। ब्राह्मण बनाम राजपूत लॉबी के संघर्ष ने भी पार्टी की स्थिति को अस्थिर किया है।

2024 के चुनावों में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में जो राजनीतिक घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, वे यह संकेत दे रहे हैं कि इस बार का चुनाव पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प होगा। राजनीतिक दलों की रणनीतियों में बदलाव, उम्मीदवारों की अदला-बदली और चुनावी तारीखों में फेरबदल से स्पष्ट है कि सभी पार्टियां इस बार चुनावी मैदान में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहतीं।

अब देखना यह है कि चुनावी जंग के इस नए दौर में जनता किसका साथ देती है और कौन इन बदलते समीकरणों में बाजी मारता है।

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close
Close