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कजली तीज का भव्य उत्सव सौहार्दपूर्वक और शांति के साथ संपन्न ; जानिए पांडव कालीन चार शिव मंदिरों को

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

कजली तीज देवीपाटन मंडल के प्रमुख पर्वों में से एक है, और इस अवसर पर जिले के चार प्रमुख शिव मंदिरों में लाखों भक्तों ने जलाभिषेक किया। इस पर्व पर विशेष तौर पर पृथ्वी नाथ और दुख हरण नाथ मंदिर में गुरुवार की आधी रात से ही जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया, जो शुक्रवार को देर शाम तक जारी रहा। अनुमान है कि इस बार सरयू नदी से जल भरकर करीब 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इन मंदिरों में जलाभिषेक किया। इस विशाल आयोजन को सुरक्षित और सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे।

  1. पृथ्वी नाथ मंदिर

खरगूपुर कस्बे के निकट स्थित पृथ्वी नाथ मंदिर भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है। यहां स्थित साढ़े 5 फुट ऊंचा शिवलिंग एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है। पांडवों के अज्ञातवास के दौरान भीम ने ब्रह्म राक्षस से मुक्ति पाने के लिए और अपने आशीर्वाद के लिए इस विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी। पुरातत्व विभाग के अनुसार, यह शिवलिंग जमीन के नीचे 64 फीट गहराई में है और ऊपर से साढ़े 5 फीट ऊंचा है। मंदिर का नाम पृथ्वी नाथ इसलिए पड़ा क्योंकि स्थानीय राजा गुमान सिंह की अनुमति से पृथ्वी सिंह ने स्वप्न में शिवलिंग की जानकारी प्राप्त की और मंदिर का निर्माण कराया। हर साल श्रावणमास और अधिमास के दौरान इस मंदिर में लाखों भक्त जलाभिषेक के लिए जुटते हैं। महाशिवरात्रि और कजली तीज के अवसर पर प्रशासन को 5 से 6 किलोमीटर तक बैरिकेडिंग करनी पड़ती है।

  1. बरखंडी नाथ महादेव मंदिर

कर्नलगंज नगर से 3 किलोमीटर दूर हुजूरपुर रोड पर स्थित बरखंडी नाथ महादेव मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। इसे लेकर मान्यता है कि जब कर्नलगंज क्षेत्र जंगल था, तब चरवाहों ने एक पत्थर पर काम करते समय देखा कि पत्थर से खून निकल रहा था। 

इस रहस्यमय घटना के बारे में श्रावस्ती के राजा को पता चला, जिन्होंने पत्थर को निकालने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। बाद में राजा को स्वप्न में मंदिर निर्माण का निर्देश मिला, जिससे यह मंदिर स्थापित हुआ। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख 32वीं पीढ़ी के महंत सुनील पुरी द्वारा की जाती है, और मंदिर का पुजारी जीवन भर अविवाहित रहता है।

  1. बालेश्वर नाथ मंदिर

वजीरगंज क्षेत्र के नगवा बल्हाराई में स्थित बालेश्वर नाथ मंदिर का धार्मिक महत्व श्रीमद्भागवत में वर्णित है। राजा सुदुम्न द्वारा स्थापित इस मंदिर की मान्यता है कि जंगल में भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण करते थे। एक बार राजा सुदुम्न को माता पार्वती ने स्त्री बनने का श्राप दिया। राजा ने अपनी गलती स्वीकार की और भगवान शिव से क्षमा मांगी। भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह छह महीने स्त्री और छह महीने पुरुष के रूप में रहेंगे। इस प्रकार राजा ने मंदिर का निर्माण कराया, जो आज बाबा बालेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है।

  1. दुखहरण नाथ मंदिर

मुख्यालय के स्टेशन रोड स्थित बाबा दुखहरण नाथ मंदिर अत्यंत प्राचीन है और पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना की गई थी। बाद में गोंडा नरेश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर पूरी तरह पत्थरों से बना है और यहां जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं के कष्ट दूर हो जाते हैं। पूरे वर्ष विशेष रूप से सावन मास में और कजली तीज के अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ होती है। प्रशासन को इन दिनों सुरक्षा और रूट डायवर्जन के इंतजाम करने पड़ते हैं। 

इस प्रकार, कजली तीज के अवसर पर देवीपाटन मंडल में शिव भक्तों की भव्य भीड़ और मंदिरों की आस्था देखने को मिलती है, जो इस क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाती है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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