जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़ के अहरौला थाना क्षेत्र में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें नाबालिग किशोर से अप्राकृतिक दुष्कर्म का वीडियो वायरल होने के बाद स्थिति और बिगड़ गई। 30 अगस्त को इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के बाद, पीड़ित किशोर का बयान कोर्ट में होना था, लेकिन बयान से पहले ही सोमवार की शाम को पीड़ित का अपहरण हो गया, जिससे पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
पीड़ित के परिजनों ने जब अपहरण की सूचना पुलिस को दी, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। पुलिस ने रात को स्थानीय गांव के भाजपा नेता शैलेश सिंह के घर पर छापा मारा और उन्हें व उनके 73 वर्षीय दिव्यांग चाचा गौरी शंकर सिंह को थाना ले जाया गया। इस दौरान पुलिस ने दोनों से पूछताछ की, लेकिन रात भर के प्रयासों के बावजूद पीड़ित किशोर का पता नहीं चल सका। सुबह होते ही किशोर अपने घर से करीब आधा किलोमीटर दूर पैदल आते हुए दिखाई दिया। स्थानीय लोगों ने उसे पहचानकर पुलिस को सौंप दिया, जिसके बाद पुलिस ने उससे पूछताछ की।
आजमगढ़ के एसपी ग्रामीण चिराग जैन ने बताया कि अपहरण की सूचना मिलने के बाद पुलिस टीम का गठन किया गया और छानबीन की जा रही थी। पुलिस ने पूछताछ के लिए एक व्यक्ति को बुलाया था, जिसे बाद में छोड़ दिया गया। हालांकि, अब उस व्यक्ति ने पुलिस पर जान से मारने की धमकी देने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया है। मामले की जांच चल रही है, और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
दूसरी ओर, भाजपा नेता शैलेश सिंह ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि आधी रात को पुलिस उनके घर पर बिना किसी कारण के पहुंची और उन्हें व उनके दिव्यांग चाचा को जबरन थाना ले गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक सिपाही, नीरज गौड़, उन्हें धमकी दे रहा था और जबरन जुर्म कबूलने को कह रहा था, अन्यथा जान से मारने की धमकी दे रहा था।
जैसे ही यह खबर भाजपा नेताओं तक पहुंची, वे तुरंत थाने पहुंचे और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से इस मामले की शिकायत की। इसके बाद पुलिस ने शैलेश सिंह और उनके चाचा को रिहा किया।
शैलेश सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस पीड़ित किशोर की मां और उसके देवर को जबरन आरोपी बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि महिला के देवर से पुलिस ने मारपीट भी की, ताकि उसे आरोप स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा सके।
इस पूरे मामले ने स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि जांच के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।