संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट जिले के आर्यनगर निवासी युवक अंशू कुमार की संदिग्ध मौत को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को पुलिस ने अंशू को हिरासत में लिया था, लेकिन उसका शव बाद में रेलवे ट्रैक पर मिला।
परिजनों का आरोप है कि अंशू की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है और उसे थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया है। वहीं, पुलिस का कहना है कि उन्होंने अंशू को पूछताछ के बाद छोड़ दिया था और उसकी मौत एक दुर्घटना है। इस घटना को लेकर परिजनों और स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। सोमवार को लोगों ने सड़क जाम कर दिया था।
घटनास्थल पर अधिकारियों का दौरा और पुलिसकर्मियों का निलंबन
जैसे ही मामला तूल पकड़ा, जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) मौके पर पहुंचे। इसके बाद कोतवाल समेत चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
पुलिस के अनुसार, रविवार की शाम मानिकपुर कस्बे में मुहर्रम का जुलूस निकल रहा था। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली कि अंशू आरख नाम का युवक शराब के नशे में अर्धनग्न होकर गलत हरकतें कर रहा है।
इस सूचना पर पुलिस ने उसे हिरासत में लिया और थाने ले आई। आरोप है कि अंशू कुछ देर बाद ही थाने से फरार हो गया। यह घटना थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई है।
पनहाई रेलवे स्टेशन के पास मिला शव
कुछ देर बाद पुलिस को सूचना मिली कि एक युवक की पनहाई रेलवे स्टेशन के आउटर पर ट्रेन से कट कर मौत हो गई है। इस सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव की पहचान के लिए उसकी फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी। परिजनों ने शव की पहचान की और पुलिस पर कस्टडी में टॉर्चर और हत्या का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
आक्रोशित लोग सड़क पर जाम लगाकर बैठ गए। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए चार थानों की पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी।
डीएम और एसपी की मौजूदगी
मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम शिवशरणप्पा और एसपी अरुण कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और तत्काल प्रभाव से कोतवाल विनोद कुमार शुक्ला समेत चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए। इसके बाद माहौल थोड़ा शांत हुआ। पुलिस के मुताबिक, ट्रेन के ड्राइवर ने स्टेशन में रिपोर्ट दी है कि युवक दौड़ते हुए रेलवे ट्रैक पर आया था। हार्न बजाने के बाद भी वह पटरी से नहीं हटा और ट्रेन की चपेट में आ गया।
सस्पेंशन का कारण
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, युवक को हिरासत में लेने की घटना जीडी में दर्ज नहीं की गई थी। यहां तक कि उसे कस्टडी से भागने की घटना के बाद भी ना तो उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया और ना ही युवक के परिजनों को बताया गया। यह पुलिस कर्मियों की लापरवाही को दर्शाता है।
इसी लापरवाही को देखते हुए कोतवाल समेत चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। चित्रकूट एसपी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जा रही है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।
घटना का विवरण
पुलिस के मुताबिक, अंशू रविवार को एक ढाबे के पास ट्रक वालों से वसूली कर रहा था। इसके बाद उसने रेलवे स्टेशन पर कुछ वेंडरों और दुकानदारों के साथ भी झगड़े किए। फिर वह मुहर्रम के जुलूस में भी जाकर हंगामा करने लगा। जुलूस में शामिल लोगों की सूचना पर ही पुलिस उसे पकड़ कर थाने लाई थी। पहले पुलिस ने दावा किया कि अंशू कस्टडी से भाग गया था। बाद में पुलिस ने बयान दिया कि पूछताछ के बाद उसे थाने से छोड़ दिया गया था। जबकि परिजनों का कहना है कि देर रात अंशू के संबंध में फोन पर पुलिस से बात हुई थी। उस समय कहा गया था कि सुबह तक उसे छोड़ा जाएगा, लेकिन सुबह होने से पहले ही उसका शव रेलवे ट्रैक पर मिल गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलने पर धरना स्थल पर समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष शिवशंकर यादव, पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल आदि पहुंचे थे। इसके बाद बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ता भी वहां आ गए।
हिन्दू संगठनों के लोग इस मामले में मुहर्रम के जुलूस में शामिल लोगों पर भी कार्रवाई की मांग कर रहे थे, जबकि सपा नेता मामले की जांच रिटायर्ड जज से कराने की मांग कर रहे थे। इसको लेकर दोनों पक्षों में तीखी नोंकझोंक भी हुई। राजनीति गरमाते देख एसडीएम पंकज वर्मा और अपर एसपी चक्रपाणि त्रिपाठी ने दोनों पक्षों को समझा कर वहां से हटाया।
इस प्रकार, चित्रकूट में युवक अंशू कुमार की मौत को लेकर विवाद और राजनीति गरमाई हुई है। मामले की जांच जारी है और आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों की प्रतीक्षा की जा रही है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."