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फंसे या निकले… . अखिलेश के लिए ये सवाल अब हो रहे हैं खड़े… 

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आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के चौथे चरण के तहत सोमवार को उत्तर प्रदेश में 13 सीटों पर मतदान हुआ, जहां 130 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे थे। इन सीटों पर इस बार लगभग 58 प्रतिशत वोट पड़े, जिसमें कन्नौज लोकसभा सीट पर 60.89 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 

इस महत्वपूर्ण चरण में कन्नौज सीट से समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है, उन पर खास नजर है। यहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव और मौजूदा भाजपा सांसद सुब्रत पाठक के बीच कड़ी टक्कर है। 

कन्नौज सीट हमेशा से समाजवादी पार्टी का गढ़ रही है। इसे इत्र की राजधानी भी कहा जाता है। समाजवादी पार्टी 1998 से यहां से जीतती आ रही है, यादव परिवार ने 1999 से 2018 तक संसद में कन्नौज सीट का प्रतिनिधित्व किया, लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने सपा का विजयी रथ रोक दिया था। ऐसे में इस बार सवाल ये है कि क्या सपा बीजेपी से अपनी परंपरागत कन्नौज सीट छिन पाएगी?

पिछले तीन चुनाव में बढ़ा है बीजेपी का वोट प्रतिशत

पिछले तीन चुनाव की बात करें तो 2009 को छोड़कर कन्नौज में 60 फीसदी से ज्यादा मतदान हुए हैं। 2009 में जहां 49.32 प्रतिशत वोट पड़े तो 2014 में 61.62 और 2019 में 60.86 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस बार भी आंकड़ा 60 प्रतिशत के पार पहुंचा है। पिछले तीनों ही बार बीजेपी का वोट शेयर कन्नौज में बढ़ता गया है, ऐसे में इस बार सपा और बीजेपी दोनों इस उम्मीद में है कि टर्नआउट वोटर की ज्यादा तादाद उनके पक्ष में हो। 

कन्नौज से ही तीन बार सांसद रह चुके हैं अखिलेश यादव

अखिलेश यादव कन्नौज से ही तीन बार सांसद रह चुके हैं। साल 2000 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में वो पहली बार सांसद चुने गए थे। उसके बाद वो 2004 और 2009 में भी इसी सीट से सांसद रहे। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देने के चलते 2012 में कन्नौज सीट पर हुए उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध चुनी गई थीं। साल 2014 के आम चुनाव में भी डिंपल ने इसी सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2019 के चुनाव में वो भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गई थीं। 

अखिलेश यादव फिलहाल करहल विधानसभा सीट से विधायक और प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वो करहल सीट से पहली बार विधायक चुने गए थे। 

वोटर टर्नआउट की बात करें तो कन्नौज में 2009 में 49.32 प्रतिशत मतदान हुआ था, जिसमें समाजवादी पार्टी को 45.52 फीसदी, बीएसपी को 29.91 प्रतिशत और अन्य को 24.57 प्रतिशत मत मिले थे, इसमें बीजेपी का वोट प्रतिशत 20.33 था। उस वक्त अखिलेश यादव ने यहां से एक लाख 15 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। 

वहीं 2014 में 61.62 प्रतिशत वोटिंग हुई, जिसमें समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत गिरा और बीजेपी के वोट में इजाफा हुआ। सपा की उम्मीदवार डिंपल यादव ने महज 19 हजार 900 मत से जीत हासिल की थी। 2014 में सपा को 43.89 फीसदी, तो बीजेपी को कुछ ही कम 42.11 प्रतिशत और अन्य को 14 प्रतिशत मत मिले थे। 

2019 में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, फिर भी कन्नौज में बीजेपी का कमल खिला था और सुब्रत पाठक ने यहां से 12 हजार वोट से जीत दर्ज की थी। बीजेपी को 49.37 तो सपा को 48.29 फीसदी वोट मिले थे। 2019 में कन्नौज में 60.86 प्रतिशत मतदान हुआ था। 

अखिलेश यादव का कन्नौज में इमोशनल कार्ड

चुनाव प्रचार के दौरान कन्नौज में अखिलेश यादव बार-बार जनता को अपने पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक दिवंगत मुलायम सिंह यादव की भी याद दिलाते रहे। उन्होंने लोगों से अपने परिवार के प्रति भावनात्मक जुड़ाव को लेकर भी अपील की। एक रैली के दौरान उन्होंने कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने एक बार कहा था कि मैं इसे (अखिलेश यादव) आपके बीच भेज रहा हूं, इसे नेता बना देना। मेरी पार्टी के दूसरे नेता ने भी कहा था कि आप इसे सुल्तान बना देना। किसी ने कहा था कि ये आपसे साथ कंधे से कंधा मिलाकर, राजनीतिक जीवन में हमेशा आपके साथ खड़ा दिखाई देगा। उसी का परिणाम है कि पहले चुनाव से जब भी चुनाव लड़ना पड़ा होगा, मैं चुनाव लड़ा या नहीं लड़ा लेकिन मैंने अपने कन्नौज के लोगों को कभी छोड़ा नहीं। 

वहीं कड़े मुकाबले का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी ही नहीं इस बार उनकी बेटी अदिति यादव भी बढ़-चढ़कर पिता के लिए चुनाव प्रचार में जुटी थीं। 21 वर्षीय अदिति यादव की चर्चा इस बार के चुनावी समर में जोरों पर थी। हर किसी की जुबान पर उनकी नाम था। मासूम सी सूरत, सादगी भरा अंदाज और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लिए अदिति कन्नौज के लोगों के बीच पहुंचीं थी। चुनावी मौसम में वो लंदन से उत्तर प्रदेश पहुंची थीं। अदिति ने अपने पिता और सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव के लिए घर-घर जाकर वोट मांगा। 

कन्नौज सीट का सियासी समीकरण

जिले की तीन विधानसभा सीट में कन्नौज सदर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां सबसे ज्यादा करीब 30 फीसदी वोटर इसी वर्ग से हैं। उसमें भी जाटव बिरादरी की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद मुस्लिम वोटर करीब 22 फीसदी हैं। इस सीट पर ब्राह्मण वोटर की संख्या भी 20 करीब 20 फीसदी है। कन्नौज में यादवों की संख्या 25 फीसदी है। क्षत्रिय, कुर्मी भी निर्णायक पोजिशन में हैं। सपा को अपने बेस वोट यादवों के साथ ही नॉन-यादवों के वोट मिलने का भरोसा है। 

चौथे चरण में 13 सीटों पर 130 प्रत्याशी

उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के तहत जिन 13 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हो रहा है, उनमें कन्नौज के अलावा शाहजहांपुर (आरक्षित), खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई (आरक्षित), मिश्रिख (आरक्षित), उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा (आरक्षित), कानपुर, अकबरपुर और बहराइच (आरक्षित) हैं। इन सभी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 130 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। 

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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