google.com, pub-2721071185451024, DIRECT, f08c47fec0942fa0
लखनऊ

किसान ‘आंदोलन’ या ‘जिद’….. अब बन जाएगी बात…!! एक एक बारीकियों पर आप भी नजर डालें ?

IMG-20250425-WA1484(1)
IMG-20250425-WA0826
IMG-20250502-WA0000
Light Blue Modern Hospital Brochure_20250505_010416_0000
IMG_COM_202505222101103700

आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट

केंद्र सरकार और किसानों के बीच रविवार देर रात हुई चौथे दौर की बैठक बेनतीजा रही है। हालांकि, बैठक में शामिल केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस बैठक को सकारात्मक बताया है। 

उन्होंने कहा कि ‘नए विचारों और सुझावों के साथ हमने भारतीय किसान मज़दूर संघ और अन्य किसान नेताओं के साथ सकारात्मक चर्चा की।’

गोयल ने कहा कि पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए कार्यों को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इस पर हमने विस्तार से बात की है। 

केंद्र सरकार ने किसानों के सामने फसलों के विविधीकरण का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत अलग-अलग फसलें उगाने पर उन्हें एमएसपी पर ख़रीदा जाएगा। 

किसान नेताओं ने कहा है कि वे सरकार के इस प्रस्ताव पर विचार करेंगे। उनका यह भी कहना है कि अभी उनकी बाक़ी मांगों पर चर्चा नहीं हुई है। 

इस बैठक में किसानों के 14 प्रतिनिधि और केंद्र सरकार के तीन मंत्री शामिल हुए। इनके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी बैठक में मौजूद रहे। 

किसान संगठनों और इन तीनों केंद्रीय मंत्रियों के बीच इससे पहले तीन बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. ये बैठकें आठ, 12 और 15 फरवरी को चंडीगढ़ में ही हुई थीं। 

इसे भी पढें  120 हराओ, बीजेपी हटाओ….चुनावी नारा बदलते हुए अखिलेश “जन विश्वास रैली” में क्या-क्या कहा? 

तीसरी बैठक की तरह यह बैठक भी काफी देरी से शुरू हुई। इस बैठक में भाग लेने कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय चंडीगढ़ पहुंचे थे। 

बैठक शुरू होने से पहले दो मिनट का मौन रखकर किसान आंदोलन के दौरान हार्ट अटैक से मरे गुरदासपुर के 79 साल के किसान ज्ञान सिंह को श्रद्धांजलि दी गई। 

किसानों के साथ बैठक करने से पहले तीनों केंद्रीय मंत्रियों ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ शहर के एक होटल में बैठक की। 

इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पैनल ने किसानों को एक समझौते का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत सरकारी एजेंसियां उनसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पांच साल तक दालें, मक्का और कपास खरीदेंगी। 

गोयल ने कहा, “नेशनल कोऑपरेटिव कंज़्यूमर्स फ़ेडरेशन (एनसीसीएफ़) और नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया (नेफ़ेड) जैसी कोऑपरेटिव सोसाइटियां उन किसानों के साथ समझौता करेंगी, जो तूर, उड़द, मसूर दाल या मक्का उगाएंगे और फिर उनसे अगले पांच साल तक एमएसपी पर फसलें खरीदी जाएंगी।”

गोयल ने कहा कि यह प्रस्ताव भी दिया गया है कि कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया के माध्यम से किसानों से पांच साल तक एमएसपी पर कपास की खरीद की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल तैयार किया जाएगा। 

इसे भी पढें  चांद पर घोटाला ; जमीन पर बैठे-बैठे चांद ही बेच डाला…चौंकिए मत पढ़िए इस खबर को

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इससे पंजाब के भूमिगत जलस्तर में सुधार होगा और पहले से ही ख़राब हो रही ज़मीन को बंजर होने से रोका जा सकेगा। उन्होंने बताया कि मंत्री इस विषय पर संबंधित विभागों से चर्चा करेंगे। 

किसानों का क्या रुख़ है

किसान नेताओं का कहना है कि वे अपने मंचों पर सरकार के प्रस्ताव पर अगले दो दिन तक चर्चा करेंगे और उसके बाद भविष्य की रणनीति तय करेंगे। 

बैठक के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हम 19-20 फ़रवरी को अपने अलग-अलग मंचों पर इस पर चर्चा करेंगे और विशेषज्ञों की राय लेंगे। उसके बाद ही इस पर कोई फ़ैसला लेंगे।”

उन्होंने कहा कि कर्ज़ माफ़ी और बाक़ी मांगों पर चर्चा अभी नहीं हुई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले दो दिन में इन मसलों पर भी कुछ सहमति बनेगी। 

पंढेर ने कहा कि ‘दिल्ली चलो’ मार्च को फ़िलहाल स्थगित किया गया है लेकिन अगर सभी मसले नहीं सुलझे तो 21 फ़रवरी सुबह 11 बजे इस पर अमल किया जाएगा। 

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए क़ानून बनाने और स्वामीनाथन आयोग की सभी सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं। 

किसान नेताओं ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली चलो का नारा दिया था। 12 फ़रवरी को केंद्र सरकार के साथ बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसान अगले दिन पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू बॉर्डर पर पहुंचे थे। 

इसे भी पढें  बेरहम ने मासूम को पत्थर पर पटक पटक कर मार डाला ; वजह आपको सन्न कर देगी

वहां से जब उन्होंने हरियाणा की सीमा में दाखिल होने की कोशिश की तो सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। 

सुरक्षा बलों ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, पैलेट गन से गोलियां चलाईं। किसानों पर ड्रोन से भी आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसमें कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हुए। 

तनातनी की स्थिति 14 फरवरी को भी जारी रही. इसके अगले दिन किसानों और सरकार के बीच चंडीगढ़ में तीसरे दिन की वार्ता होनी थी। 

इसे देखते हुए किसानों ने कहा कि उस दिन वो प्रदर्शन नहीं करेंगे। उस दिन शंभू सीमा पर शांति रही। उसके बाद से वहां कुल मिलाकर शांतिपूर्ण हालात बने हुए हैं। 

दो साल पहले भी किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला था। इसके बाद किसानों के आंदोलन के आगे झुकते हुए नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) क़ानून -2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 को रद्द कर दिया था। 

इस क़दम के बाद सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का वादा किया था। इस पर किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था। 

112 पाठकों ने अब तक पढा
samachardarpan24
Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?listType=playlist&list=UU7V4PbrEu9I94AdP4JOd2ug&layout=gallery[/embedyt]
Tags

samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की
Back to top button
Close
Close