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धधकती ज्वाला में खिलखिलाती मौत…रुह कंपा देगी रामेश्वरम दर्शन से पहले मौत का दीदार करने यूपी वालों की आपबीती

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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट 

“सुबह के 7:30 बजे थे। मैं फेसबुक पर अपनी बहन मिथलेश की रामेश्वरम यात्रा की तस्वीरें देख रही थी। तभी मेरे बहनोई ने एक पोस्ट की। लिखा- हम जिस बोगी में हैं, वह आग से धधक रही है। लोग जान बचाने के लिए भाग रहे हैं। मैंने किसी तरह 4 लोगों को बचाया है, लेकिन मेरी पत्नी नहीं मिल रही हैं। हमारी तुरंत मदद की जाए, नहीं सब के सब जलकर मारे जाएंगे।”

“सुबह-सुबह आंख खुलते ही इतनी बुरी खबर मिली कि मन घबराने गला। फेसबुक पोस्ट पढ़कर मेरे हाथ कांपने लगे। डर के मारे मैंने फोन बंद किया। तुरंत मिथलेश के घर भागी। बहन के घर पहुंची, तो वहां पहले से भीड़ जमा थी। मुझे गेट पर देख मेरी भांजी मनीषा दौड़ते हुए मेरे पास आई और लिपटकर जोर-जोर से रोने लगी। मैंने पूछा क्या हुआ? वह रोते हुए सिर्फ इतना कह पाई- मौसी…मम्मी नहीं रही।”

ये शब्द सीतापुर की रहने वाली इंदू सिंह के हैं। इंदू की बहन मिथलेश सिंह…मदुरै रेलवे स्टेशन हादसे में मरने वाले 9 लोगों में से एक थी। रामेश्वरम यात्रा पर जाने से पहले मिथलेश ने इंदू से यह वादा किया था कि वह उनके लिए तिरुपति बालाजी का प्रसाद लाएंगी। लेकिन क्या पता था कि यह यात्रा उनके जीवन की आखिरी यात्रा होगी।

शिव प्रताप सिंह सीतापुर के आदर्श नगर मोहल्ले में रहते हैं। सिंचाई विभाग में बतौर जिलेदार नौकरी करते थे। अब रिटायर हो चुके हैं। सारा वक्त अध्यात्म और पूजा-पाठ में लगाते हैं। धार्मिक स्थानों पर जाना उन्हें पसंद था।

ये फोटो 17 अगस्त की है। उसी दिन लखनऊ से हंसते हुए यात्रा शुरू हुई थी। तस्वीर में दाएं से पहले नंबर पर मिथलेश हैं।

दो महीने पहले जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी भी गए थे। अगस्त के पहले हफ्ते में तय किया कि पूरे परिवार के साथ रामेश्वरम की यात्रा करेंगे। परिवार के सारे लोग राजी हो गए। 7 अगस्त को शिवप्रताप पास के ही भसीन टूर एण्ड ट्रैवल्स पहुंचे। पप्पू भसीन को अपनी यात्रा के बारे में बताया।

शिवप्रताप का प्लान ऐसा था कि पप्पू को भी पसंद आ गया। उन्होंने भी चलने के लिए हामी भरी और सबका 17 से 30 अगस्त तक टूर फाइनल कर दिया। 17 अगस्त की सुबह सभी घर (सीतापुर) से लखनऊ के लिए निकले।

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यहां शाम में ट्रेन पकड़ी और 19 की सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पहुंचे। यहां उन्होंने मल्लिकाअर्जुन मंदिर में दर्शन किए और इसकी पोस्ट की। इसके बाद सभी विजयवाड़ा गए। वहां से तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन किए।

शिव प्रताप 9 लोगों के साथ मैसूर पहुंचे। यहां चामुंडा देवी का दर्शन करने के बाद बेंगलुरु निकले। वहां पहुंचकर इस्कॉन मंदिर में दर्शन किया। यहां 1 दिन रुके और फिर मदुरै के लिए पुनालूर-मदुरै एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ी। अब सबके मन जल्द से जल्द रामेश्वरम दर्शन करने की चाहत थी।

‘रामेश्वरम दर्शन से पहले लोगों ने मौत देखी’

25 से 26 अगस्त के बीच रात 3:45 बजे 63 तीर्थ यात्रियों को लेकर ट्रेन मदुरै स्टेशन पहुंची। वहां प्राइवेट कोच को ट्रेन से अलग कर दिया गया। 26 अगस्त की सुबह के 5 बजे थे…बोगी में सवार कुछ यात्री सो रहे थे। जो जाग रहे थे उनके लिए चाय बन रही थी। इसी बीच जोर का धमाका हुआ…कोच में रखा सिलेंडर फटा और चारों तरफ आग फैल गई। लोग जान बचाने के लिए भागने लगे। जलती ट्रेन के बीच शिव प्रताप बाहर भागे। किसी तरह 4 लोगों को बोगी से बाहर निकाला।

पत्नी नहीं दिखी। नाम लेकर चिल्लाया…लेकिन चीख-पुकार के बीच मिथलेश की कहीं से आवाज नहीं आई। शिव प्रताप इधर से उधर भागते रहे। करीब 20 मिनट बाद आग की लपटें कम हुईं तो मिथलेश दिखीं। लेकिन वह पूरी तरह से जल चुकी थीं। पहचानना मुश्किल हो गया। मिथलेश के पास एक और लाश पड़ी थी वह शिवप्रताप के बहनोई शत्रुदमन सिंह की थी। इस वक्त तक उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें। किससे मदद मांगे।

ये फोटो 23 अगस्त की है। जब सभी बेंगलुरु के इस्कॉन मंदिर गए थे। बाएं से दूसरे नंबर पर मृतका मिथलेश और दाएं से दूसरे नंबर पर मृतक शत्रुदमन सिंह हैं।

सुबह 7 बजकर 23 मिनट पर शिवप्रताप सिंह ने फेसबुक पर पोस्ट लिखा। बताया कि 4 लोगों को बचा लिया, लेकिन पत्नी और बहनोई को नहीं बचा पाया। उनकी इस पोस्ट के बाद घरवालों की बेचैनी बढ़ गई। सब के सब उन्हें फोन पर फोन लगाने लगे।

‘पता नहीं बहन को आखिरी बार देख पाऊंगी या नहीं’

मदुरै ट्रेन हादसे में सीतापुर के 5 लोगों (शत्रुदमन, मिथलेश, अंकुल, दीपक और पप्पू) की मौत हुई। इनमें से मिथलेश और शत्रुदमन रिश्तेदार थे और एक ही मोहल्ले के रहने वाले थे। मिथलेश के पति शिव प्रताप सिंह का पोस्ट देखकर उनकी बहन इंदू चौंक गईं। वह सब काम छोड़कर मिथलेश के घर भागीं।

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इंदू कहती हैं, “मिथलेश बेहद सरल स्वभाव की थीं। हम दोनों 8 साल तक एक ही घर में रहे। शादी के बाद वह सीतापुर में रहने आ गई। लेकिन हम एक-दूसरे से अक्सर मिलते रहते थे। मिथलेश ने फरवरी में पोते-पोती का मुंडन करवाया था। वह बहुत खुश थीं। परिवार की सलामती के लिए रामेश्वरम जाकर माथा टेकना चाहती थीं।”

“मेरी बहन बहुत धर्म-कर्म का काम करती थीं। कभी किसी के लिए बुरा नहीं सोंचा। फिर भी उनके साथ ऐसी दर्दनाक घटना हो गई। पता नहीं बहन को आखिरी बार देख पाऊंगी भी या नहीं।”

3 भइयों में सबसे बड़े शत्रुदमन अब कभी नहीं लौटेंगे

आदर्शनगर मोहल्ले में मृतका मिथलेश के घर से 100 मीटर दूर उनके जीजा शत्रुदमन का घर है। शत्रुदमन यहां अपने छोटे भाई लल्ला सिंह के साथ रहते थे। सबसे छोटे भाई आलोक सिंह महोली में रहते हैं। हादसे की जानकारी जैसे ही मिली, आस-पास के लोग उनके घर पर इकट्ठा होने लगे। हमने उनके भाई लल्ला सिंह से बात की।

उन्होंने बताया, “शत्रुदमन की यह तीसरी रामेश्वरम यात्रा थी। उन्हें तीर्थाटन करना बहुत पसंद था। सुबह 8 बजे हमें पता चला कि भइया की मौत हो गई। तुरंत छोटे भाई भी घर आ गए। हम यही चाहते हैं कि हमारे भाई की मिट्टी जल्द से जल्द हमें सौंप दी जाए।”

हमने लल्ला सिंह से पूछा कि क्या आपके परिवार वाले यात्रा में गैस सिलेंडर लेकर गए थे। उन्होंने न में सिर हिलाते हुए कहा कि यहां से कोई भी ऐसी चीज नहीं लेकर गया। रेलवे स्टेशन पर बाकायदे चेकिंग होती है, ऐसे में कोई क्यों बड़ा सिलेंडर यात्रा में लेकर जाएगा। हमें लगता है जिस सिलेंडर से यह हादसा हुआ वह कहीं और से लाया गया होगा।

साउथ रेलवे बोला- सिलेंडर कहां से आया, इसकी जांच होगी

हादसे के बाद दक्षिण रेलवे ने अपने बयान में कहा है कि यात्री निजी कोच में किसी भी तरह का ज्वलनशील पदार्थ नहीं ले जा सकते। यह रेल कानून के खिलाफ है। उत्तर पूर्वी रेलवे डिवीज़नल मैनेजर आदित्य कुमार ने बताया, “हादसे में जिन लोगों की मौत हुई उनके टिकट किसी ट्रेवल एजेंसी ने IRCTC के जरिए बुक करे थें। ट्रेवल एजेंट ने 63 लोगों के टिकट बुक किए थे।”

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आदित्य कहते हैं, “कोच जब लखनऊ से चला था, उस वक्त नियम के अनुसार उसकी चेकिंग हुई थी। इस दौरान उसमें कोई गैस सिलेंडर नहीं था। अब सिलेंडर कहां से आया? इसकी जांच होगी।”

मदुरै की डीएम MS संगीता के मुताबिक, हादसे में 55 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है। अब तक मारे गए 9 शवों की पहचान कर ली गई। इस घटना से जुड़ी जानकारी के लिए हमें 2 हेल्पलाइन नंबर 9360552608 और 8015681915 जारी किए हैं।

जिनकी जान गई उनके परिजनों को 15 लाख की मदद

हम इसके बाद भसीन टूर एण्ड ट्रैवल्स के दफ्तर पहुंचे। वहां हमें अंकुर मिले। अंकुर कहते हैं, 7 अगस्त को शिव प्रताप जी ने 9 लोगों का टिकट करवाया था। हमारी ट्रैवल्स कंपनी के मालिक भी उनके साथ गए थे। घटना के काफी देर तक उनका कोई पता नहीं चला था। बाद में घायल अवस्था में हॉस्पिटल में मिले।

हादसे की जानकारी होते ही मौके पर रेलवे के अधिकारी पहुंचे। रेलवे ने अपनी तरफ से हर मृतक के परिवार को 10-10 लाख रुपए देने की बात कही। 3 लाख रुपए तमिलनाडु सरकार देगी और 2 लाख रुपए यूपी की सरकार देगी। इस हादसे में कुल 9 लोगों की मौत हुई।

26 अगस्त देर रात तमिलनाडु सरकार ने ट्रेन हादसे के शिकार हुए 9 लोगों की लिस्ट जारी की। इसमें 5 सीतापुर के अलावा, 2 लोग लखनऊ के, 1 लखीमपुर और एक हरदोई के हैं। सीएम योगी घायलों को लेकर हर पल की अपडेट ले रहे हैं। उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वार्ष्णेय से भी बात की है। सरकार ने लोगों की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1070 जारी किया है।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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