दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बिहार की लोक गायिका नेहा सिंह राठौर अब ‘UP में का बा-2’ लेकर आई हैं। मंगलवार सुबह यह गीत उन्होंने सोशल मीडिया पर डाला है। इससे पहले नेहा सिंह राठौर ने सत्ता के गुणगान के गीत गाने वालों को खूब नसीहतें दी थी। ‘बिहार में का बा’ के बाद ‘यूपी में का बा’ गीत से वह इन दिनों पॉपुलर हो रही हैं।
नेहा ने इस बार गीत की शुरुआत किसानों के सवाल से की है। उन्होंने नए गीत में रेप, अपहरण, रामराज्य की चर्चा की है। नेताओं के परिवारवाद पर भी नेहा ने इस बार निशाना साधा है। सांसद और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन का नाम लिए बिना व्यंग्य किया है कि गरीबों का पसीना महकता है।
नेहा के इस नए गीत के बोल
खेती के पूंजी जर गइलें, गन्ना सब संढ़वां चर गइलें, भर सिवाने हुल-हुल भईंसा लेखे दांत बा.. UP में का बा…कुल के दीपक हर दल में ह ऐसन कारामत बा…नेता नगरी के असली चिट्ठा अबकी खुलत जात बा… रेप अपहरण नेता जी के जाहिर मिजाज बा… का हो भैया, का हो बहनी इहे राम राज बा… होटल से खाना मंगवा के घुरहू घरे खाले, घुरहू के पसीना महकत रहे कहे में ना जला ले…. UP में का बा।
पिछले दिनों नेहा सिंह राठौर वाराणसी आई थीं। यहां उन्होंने विकास के सवाल पर कहा कि यूपी में कोई बदलाव नही हुआ है। मैं हमेशा यह बात कहती हूं कि कोई भी सरकार पूरी तरह से फेल नही होती है। न पूरी तरह से पास होती है। उन्होंने कहा कि आज यहां गंगा में अलकनंदा क्रूज चल रहा है। कोरोना काल में इसी गंगा में लाशें भी बहती थी। उन लाशों को पक्षी और जानवर नोचते रहते थे। आखिर इसको स्वीकार करने में हर्ज क्या है। जनता की प्रतिक्रिया पर राजनीतिक दलों को चिढ़ना नही चाहिए। बल्कि, उसे स्वीकार कर कमियों को दूर करने के लिए काम करना चाहिए।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."