गोरखपुर

मौत बांटती सड़कें ; जिले में 17 माह में हुए 717 हादसों में 345 की गई जान

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सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

गोरखपुर,  छोटी-छोटी भूल और मामूली चूक के चलते जिले में रोजाना सड़क हादसे हो रहे हैं। हर दूसरे दिन कोई न कोई काल के गाल में समा रहा है जबकि दो लोग घायल होते हैं। यातायात नियमों और सुरक्षा उपायों की अनदेखी के चलते चालक अपना ही नहीं दूसरों का जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। कई जगहों पर सड़क, तिराहा की आड़ी तिरछी बनावट व कट हादसे की अहम वजह है।

बीते 17 माह की बात करें तो जिले में 717 हादसे हो चुके हैं। ऐसे कई हादसे भी हुए जो पुलिस की रिकार्ड में दर्ज नहीं है। इन हादसों में 345 लोगों की जान चली गई जबकि 553 लोग घायल हुए। इसमें सर्वाधिक हादसे दोपहिया वाहनों से हुए जबकि बड़े और भारी वाहन हादसों की वजह बनें। घना कोहरा भी सड़क हादसे की की मुख्य वजह है।

सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार तत्वों को लेकर कोई भी गंभीर नहीं है। फोरलेन पर गलत तरीके से बने कट और पटरी की तरफ सुरक्षा घेरा न होना हादसे की मुख्य वजह है। हादसों के लिए किसी की जिम्मेदारी तय न होने के चलते भी प्रशासनिक अमला इसको लेकर लापरवाह बना रहता है।

हादसों का आकड़ा

वर्ष हादसे मौत घायल

2021 549 264 442

2022 168 81 111

नोट : 2022 का आकड़ा 28 मई तक का है।

चिन्हित ब्लैक स्पाट

दाना पानी रेस्टोरेंट : लखनऊ हाइवे पर गीडा क्षेत्र में स्थित दाना-पानी रेस्टोरेंट के पास तेज रफ्तार में वाहन नीचे उतरते हैं। भारी वाहन उतरने की जगह पर ही सड़क पार करने के लिए कट बना है। जिसकी वजह से दुर्घटना होती है।

कालेसर जीरो प्वाइंट : शहर से लखनऊ जाने वाले और लखनऊ से बिहार की तरफ जाने वाले वाहन कालेसर जीरो प्वाइंट पर एक दूसरे को पार करते हैं।जिसकी वजह से यहां हादसा होता है। लोहा बैरियर लगाकर हादसा रोका जा सकता है।

बोक्टा चौराहा : लखनऊ हाईवे पर यह छोटा सा बाजार है।सड़क किनारे लगने वाले बाजार में लोग साइकिल से और पैदल पहुंचते हैं। जिसकी वजह से आए दिन सड़क पार करते समय हादसा होता है।

कसरौल : सहजनवां क्षेत्र में स्थित कसरौल चौराहा पर कट है। जिसे पार करते समय हमेशा हादसा होता है। ब्रेकर व दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र का बोर्ड लगाकर लोगों को सजग किया जा सकता है।

भीटी रावत : शहर और सोनौली की तरफ से आने वाले वाहन लखनऊ जाने के लिए यहां एक लेन में मिलते हैं।सजग न होने और रफ्तार तेज होने की वजह से अक्सर टक्कर हो जाती है।

कोनी तिराहा : हाइवे पर चढऩे या उतरने के लिए कोई अंडरपास या ओवरब्रिज नहीं है। जिसकी वजह से हाइवे पर चढऩे समय तेज रफ्तार वाहन आपस में टकरा जाते हैं। पिछले दो साल में यहां सबसे ज्यादा हादसे हो चुके हैं।

महावनखोर : सोनौली हाइवे से सटा घना कस्बा है। सड़क पार करते समय अक्सर पैदल, साइकिल व बाइक सवार तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आ जाते हैं।

रामनगर कडज़हां : कुशीनगर व देवरिया जाने वाले वाहन जब हाइवे से उतरते हैं तो चौकी के सामने शहर की तरफ आने वाले वाहन को क्रास करते हैं। रफ्तार तेज होने की वजह से दुर्घटना होती है।

मोतीराम अड्डा : ओवर स्पीड व कट की वजह से इस जगह पर अक्सर हादसा होता है। इससे निजात पाने के लिए स्पीड लिमिट का बोर्ड लगा दिया गया है।

नौसढ़ तिराहा : वाराणसी, लखनऊ व शहर की तरफ से आने वाली सड़क यहीं मिलती है। तीव्र मोड़ और छोटे डिवाइडर होने की वजह से हादसे होते हैं।

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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