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दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
इस बार रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि मार्च के आखिरी हफ्ते से गर्मी पड़नी शुरू हुई और अप्रैल के आखिरी दिनों में मई-जून जैसी गर्मी पड़ने लगी है।
बीते हफ्ते पारा 42 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा रहा। आलम यह है कि भीषण गर्मी का असर गंगा पर भी देखने को मिल रहा है। बीते 5 साल में पहली बार ऐसा हुआ कि अप्रैल में गंगा इतनी अधिक सूख गई हैं। मौसम विभाग की मानें तो पारा अभी और बढ़ेगा।
बदायूं,उन्नाव और शाहजहांपुर में घाट सूने पड़े मिले तो वहीं कौशांबी और फतेहपुर में बीच बीच में रेत के टीले तक दिखाई पड़ने लगे हैं। बिज़नौर में तो हालत यह है कि डैम होने के बावजूद भी गंगा की रफ्तार आगे चलकर धीमी पड़ती जा रही है।
आइए, 10 तस्वीरों में देखते हैं, तपिश का कैसा असर गंगा पर पड़ रहा है…
उन्नाव की इस तस्वीर से साफ जाहिर है कि पहले पानी सीढ़ियों तक रहता था लेकिन अब दूर तक सिर्फ रेत का मैदान है।
कौशांबी में भी कमोबेश हाल यही है। गर्मी की वजह से पानी सिमटकर दूर हो गया है।
कौशांबी में गंगा अब इस आकार में ही बह रही हैं।
फतेहपुर में नाविकों की जीविका काफी पहले ही बंद हो गई।
फतेहपुर में बीच-बीच में भी रेत के टीले नजर आने लगे हैं।
बदायूं में काफी आगे जाने के बाद गंगा का पानी मिल रहा है।
शाहजहांपुर में गंगा के पानी ने घाटों को काफी पीछे छोड़ दिया है।
शाहजहांपुर में जलीय जीव-जंतुओं के लिए भी संकट खड़ा हो गया है।
बिजनौर में डैम होने के बावजूद गंगा की रफ्तार आगे जाकर कम हो जाती है।
बिजनौर की इस तस्वीर से साफ जाहिर है कि फ्लो कितना कम है।