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कानपुर

देशभक्ति से सराबोर कवि सम्मेलन, रामायण और लक्ष्मीबाई के नाटक ने जीता दिल

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“बिठूर महोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की धूम! रामायण के नाट्य मंचन, रानी लक्ष्मीबाई पर नाटक और कवि सम्मेलन ने दर्शकों का मन मोहा। पढ़ें पूरी खबर!”

कानपुर। बिठूर महोत्सव के दूसरे दिन सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रमों की धूम रही। देर शाम शुरू हुए कवि सम्मेलन में देशभर से आए कवियों ने अपनी ओजस्वी और भावनात्मक रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हालांकि, बारिश के कारण कार्यक्रम में करीब एक घंटे की देरी हुई, लेकिन इसके बावजूद दर्शकों का जोश कम नहीं हुआ।

रामायण का नाट्य मंचन: संगीतमय प्रस्तुति ने मोहा मन

काव्यपाठ से पहले राम भारती कला केंद्र द्वारा रामायण के नाट्य रूपांतरण का मंचन किया गया। इस प्रस्तुति में दशरथ की पुत्र प्राप्ति की तपस्या, राम जन्म, गुरुकुल शिक्षा, ताड़का वध, सीता स्वयंवर, वनवास, दशरथ मरण, सीता हरण, लंका युद्ध और सीता का धरती में समाना जैसी प्रमुख घटनाओं को संगीतमय रूप में दर्शाया गया। इस नाट्य प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।

रचनात्मक प्रस्तुति की तस्वीर

रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर नाटक

बिठूर महोत्सव में रामजानकी स्कूल के बच्चों ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया। इसके अलावा छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के छात्रों ने आयो रो कान्हा, आयो रो रंगों की बाहर लायौ पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया।

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क्विज प्रतियोगिता: वाराणसी के उज्जवल बने विजेता

सुबह आयोजित क्विज प्रतियोगिता में पहले राउंड में 400 से अधिक स्कूलों की टीमों ने भाग लिया, जिसमें से 7 टीमें फाइनल में पहुंचीं। फाइनल मुकाबला काशी मुक्ता मंच पर हुआ, जहां सनबीम इंग्लिश स्कूल, भगवानपुर वाराणसी के उज्जवल परासय और विवेक पटेल ने प्रतियोगिता में जीत हासिल की।

कवि सम्मेलन: ओजस्वी और भावनात्मक रचनाओं से गूंजा बिठूर

देर रात आयोजित कवि सम्मेलन में देशभर से आए कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से समां बांध दिया।

अंबेडकरनगर के कवि अभय सिंह निर्भीक ने “कान खोलकर दुनिया वालों, जनता का आह्वान सुनो”, जैसी ओजस्वी रचना सुनाकर माहौल को देशभक्ति से सराबोर कर दिया।

सांस्कृतिक प्रस्तुति

कानपुर की शायरा शबीना अदीब ने “अंधेरों की हर एक साजिश यहां नाकाम हो जाए, उजाले हर तरफ हो, रोशनी का नाम हो जाए”, सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

इटावा के डॉ. कमलेश शर्मा ने “जतन से संवारी कलम बोलती है, कि बनकर दुधारी कलम बोलती है”, सुनाया।

शशिकांत यादव ने “तोला से मन भर तोला है, पारा पानी में घोला है”, सुनाकर दर्शकों की तालियां बटोरी।

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बिठूर महोत्सव बना सांस्कृतिक संगम

बिठूर महोत्सव का यह दूसरा दिन पूरी तरह कला, संस्कृति और साहित्य के रंगों में डूबा रहा। काव्यपाठ से लेकर नाट्य प्रस्तुतियों तक, हर कार्यक्रम ने दर्शकों को बांधे रखा। महोत्सव का यह जोश और उल्लास आने वाले दिनों में भी जारी रहेगा।

➡️अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

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Author: samachardarpan24

जिद है दुनिया जीतने की

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