कानपुर के बिल्हौर नगर पालिका में बजट बैठक के दौरान बीजेपी पार्षद अतुल तिवारी ने बाबू को बोतल मार दी और चेयरमैन को दी गंभीर धमकी। वायरल वीडियो ने बढ़ाई प्रशासनिक चिंता। जानिए पूरा मामला।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
बैठक में खुला मोर्चा, बाबू पर फेंकी बोतल
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने नगर निकाय की गरिमा और लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, बिल्हौर नगर पालिका में बजट वर्ष 2025–26 को लेकर एक बैठक चल रही थी। लेकिन यह बैठक तब विवाद का रूप ले बैठी, जब बीजेपी समर्थित पार्षद अतुल तिवारी ने नगर पालिका में कार्यरत बाबू जितेंद्र सिंह पर जमकर गुस्सा निकाला।
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सदन के भीतर 3 मिनट 14 सेकंड का एक वायरल वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, जिसमें पार्षद अतुल तिवारी बाबू जितेंद्र सिंह पर यह कहते सुने जा सकते हैं कि—“तू पूरी नगर पालिका हाईजैक कर चुका है… अब यहीं मारूंगा।” इसके बाद उन्होंने मेज पर हाथ पटका और गुस्से में बोतल फेंक कर बाबू को मार दी। इस पर बाबू ने विरोध करते हुए कहा—“फालतू बात मत करना, यहां 24 लोग और बैठे हैं।”
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चेयरमैन को दी जान से मारने की धमकी
मामला यहीं नहीं थमा। पार्षद ने नगर पालिका चेयरमैन इखलाख अहमद की ओर इशारा करते हुए कहा—“तुम दोनों को मारूंगा और चीर दूंगा।” इस बयान के बाद बैठक में हंगामा चरम पर पहुंच गया। स्थिति तनावपूर्ण होते देख अन्य पार्षदों ने किसी तरह से मामला शांत कराया। बावजूद इसके, नगर निकाय की साख पर गहरा सवाल खड़ा हो गया।
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बजट पास, लेकिन विवाद जारी
इतना सब होने के बावजूद बैठक में कुल 19.19 करोड़ रुपये का बजट पास कर दिया गया। चेयरमैन इखलाख अहमद ने कहा—“जो कुछ भी बैठक में हुआ, उसका वीडियो सामने है। हम इस पर सदन के सदस्यों से बात करेंगे और उचित कार्रवाई की जाएगी।”
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पुलिस पहुंची, लेकिन कार्रवाई अब तक नहीं
सूचना पाकर ईओ अंजली मिश्रा ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। इंस्पेक्टर अशोक कुमार ने बताया कि सूचना मिलने पर फोर्स मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक मामला शांत हो चुका था। उन्होंने यह भी कहा कि “यदि पीड़ित की ओर से तहरीर मिलती है तो आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
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बजट के लेखाजोखा से भड़का पार्षद का गुस्सा
सूत्रों के अनुसार, हंगामे की जड़ में मार्ग प्रकाश, क्रय सामग्री, प्रकाशन और टेलीफोन खर्चों का लेखाजोखा मांगना था। जब बाबू जितेंद्र सिंह से इन खर्चों का विवरण मांगा गया, तब पार्षद उग्र हो गए और मामला हाथापाई तक जा पहुंचा।
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लोकतंत्र को शर्मसार करती राजनीति
इस पूरे घटनाक्रम ने नगर निकाय की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जहां एक ओर जनता को पारदर्शी प्रशासन की अपेक्षा है, वहीं इस तरह की घटनाएं लोकतंत्र की बुनियादी मर्यादाओं को ठेस पहुंचाती हैं। अब देखना यह है कि इस वायरल वीडियो और गंभीर धमकियों के बाद प्रशासन और पार्टी नेतृत्व क्या कार्रवाई करता है।