
कानपुर के गैंगस्टर अजय ठाकुर ने सोशल मीडिया पर पुलिस पर वसूली के आरोप लगाए हैं। पुलिस ने आरोपों को नकारते हुए उसे शातिर अपराधी बताया है। जानिए पूरी खबर।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
कानपुर। कभी काली कारों के काफिले में घूमता हुआ और कभी सोशल मीडिया पर पुलिस पर आरोप लगाता हुआ, 28 वर्षीय अजय ठाकुर एक बार फिर कानपुर की चर्चा का केंद्र बन गया है। 27 मुकदमों में वांछित और गैंगस्टर एक्ट में जिला बदर यह अपराधी अब एक नया दावा कर रहा है—कि उसे अपने ही घर में रहने के लिए हर महीने 50 हजार रुपए पुलिस को देने पड़ रहे हैं।
वीडियो में अजय ठाकुर का दावा—”पुलिस घर में रहने के लिए रिश्वत मांग रही है”
दरअसल, अजय ठाकुर ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उसने यह आरोप लगाया कि वह फिलहाल जिला बदर है, फिर भी चौकी स्तर के पुलिसकर्मी उससे जबरन वसूली कर रहे हैं। वीडियो में वह यह भी कहता हुआ नजर आता है कि यदि वह पैसे देने से मना करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है। उसने यह भी जोड़ा कि—”सभी पुलिसकर्मी रिश्वतखोर नहीं होते, लेकिन कुछ ऐसे हैं जो वर्दी का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।”
कानपुर पुलिस की सफाई—”शातिर अपराधी है अजय, बना रहा है दबाव”
इसके जवाब में कानपुर पुलिस कमिश्नरेट की मीडिया सेल ने भी सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी किया है। बयान में स्पष्ट किया गया है कि अजय ठाकुर एक शातिर अपराधी है और पुलिस पर दबाव बनाने के लिए ऐसे झूठे आरोप गढ़ रहा है। विशेष रूप से चौकी प्रभारी दीपक गिरी पर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हुए कहा गया कि गिरी ने अजय को पहले चार बार गिरफ्तार कर जेल भेजा है। ऐसे में अब वह प्रतिशोध की भावना से यह षड्यंत्र रच रहा है।
काली कार, हथियार और गर्लफ्रेंड का बर्थडे—वायरल रील से पहले भी बना था सुर्खियों में
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले भी अजय ठाकुर तब चर्चा में आया था, जब उसने अपनी गर्लफ्रेंड के जन्मदिन पर ‘छोरा लेकर काली कार, जिसमें लेकर हथियार’ गाने के साथ काफिले में शहर की सड़कों पर रील बनाई थी। उस समय भी वह जिला बदर था। पुलिस जब उसे पकड़ने पहुंची, तो उसने खुद को घायल कर लिया था ताकि गिरफ्तारी से बच सके।
अपराध के साथ सोशल मीडिया पर एक्टिव—नेताओं से नज़दीकी या सिस्टम की नाकामी?
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अपराधी सोशल मीडिया और सत्ता के कुछ करीबी चेहरों से नजदीकी के दम पर पुलिस तंत्र को चुनौती देने में सक्षम हो गए हैं? अजय ठाकुर का बार-बार सोशल मीडिया पर वायरल होना और खुलेआम आरोप लगाना इस ओर इशारा करता है कि वह केवल कानून ही नहीं, बल्कि उसकी मर्यादाओं को भी ठेंगा दिखा रहा है।
वीडियो सबूत होने का दावा—क्या पुलिस अफसरों पर गिरेगा शिकंजा?
वहीं, पुलिस का कहना है कि अजय द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की गंभीरता से जांच की जा रही है। जिन अधिकारियों के नाम लिए गए हैं, उनसे पूछताछ की जा रही है। यदि अजय के पास वाकई कोई वीडियो प्रमाण हैं, तो उन्हें जांच में शामिल किया जाएगा।