कानपुर के बिल्हौर में एक प्राइमरी स्कूल के चपरासी का 23 मिनट लंबा ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह सांसद समेत कई नेताओं को भद्दी गालियां देता सुनाई दे रहा है। 39 सेकंड में 27 गालियों वाले इस ऑडियो ने प्रशासन में हलचल मचा दी है।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
कानपुर (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिल्हौर क्षेत्र में स्थित एक प्राइमरी स्कूल का चपरासी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक भद्दी भाषा वाले ऑडियो की वजह से चर्चा में है। बताया जा रहा है कि वायरल ऑडियो में चपरासी एक सांसद सहित अन्य कई नेताओं को अपशब्दों और गालियों से नवाज रहा है। इस ऑडियो के सामने आते ही नेताओं, अधिकारियों और आम लोगों में सनसनी फैल गई है।
क्या है पूरा मामला?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह ऑडियो लगभग 23 मिनट लंबा है, जिसमें कथित तौर पर चपरासी और एक स्थानीय नेता के बीच बातचीत हो रही है। ऑडियो की शुरुआत वह “नमस्कार बंदगी” से करता है, लेकिन कुछ ही क्षणों बाद वह एक ठेकेदार से लेकर सांसद, विधायक और न्यायपालिका तक को अपशब्द कहने लगता है।
विशेष रूप से, एक हिस्से में ऐसा भी आता है जब वह महज 39 सेकेंड में 27 गालियां बकता है। इस गाली-गलौज भरे संवाद को सुनकर लोग हैरान हैं और मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मची हुई है।
कार्रवाई की शुरुआत
वायरल ऑडियो की गंभीरता को देखते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने संबंधित चपरासी को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। वहीं, बिल्हौर पुलिस ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और आरोपी की तलाश में जुट गई है।
सूत्रों की मानें तो पुलिस ने एक ग्राम प्रधान को पूछताछ के लिए थाने में बिठाया, जबकि शिवराजपुर के एक जनप्रतिनिधि भी थाने पहुंचकर सिफारिश करने लगे।
नेताओं और अफसरों पर तीखे शब्द
ऑडियो में चपरासी न केवल सांसद और विधायक बल्कि न्यायपालिका और अफसरशाही पर भी टिप्पणी करता हुआ सुनाई देता है। उसका यह भी दावा है कि “अगर सांसद में दम है तो मुझे जेल भेजकर दिखाए।”
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
इस विवादित ऑडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर बहस और निंदा का दौर शुरू हो गया है। लोग प्रशासन से आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे एक सरकारी कर्मचारी मर्यादा की सीमाएं लांघता हुआ सुनाई देता है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है और वायरल ऑडियो की सच्चाई कितनी गहराई तक जांची जाती है।