उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। बिजली मंत्री एके शर्मा ने गर्मी को देखते हुए अपील की है, साथ ही बिजली दरों में बढ़ोतरी की संभावना पर भी टिप्पणी की।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया के विरोध में अब बिजली विभाग के कर्मचारी और अभियंता आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। पूर्वांचल और दक्षिणांचल की बिजली प्रणाली के निजीकरण के खिलाफ 29 मई से प्रदेशभर के कर्मचारी और अभियंता अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर जा रहे हैं।
हालांकि, वे कार्यालय तो आएंगे, लेकिन उपभोक्ताओं का कोई काम नहीं करेंगे। इस घोषणा के बाद प्रदेश में गर्मी के मौसम में बिजली संकट की आशंका गहराने लगी है।
बिजली मंत्री की भावुक अपील
इसी बीच, प्रदेश के बिजली मंत्री एके शर्मा ने कर्मचारियों से भावुक अपील की है। उन्होंने कहा, “गर्मी के इस प्रचंड दौर में जब बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग बिजली पर निर्भर हैं, ऐसे समय में कार्य बहिष्कार किसी के हित में नहीं है। एक मिनट बिजली न रहे तो जीवन दुभर हो जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि बिजली विभाग एक परिवार की तरह है और किसी भी समस्या को बातचीत के ज़रिए सुलझाया जा सकता है। लेकिन कार्य बहिष्कार का निर्णय जनहित में नहीं है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
“अगर नहीं माने तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें”
जब मंत्री से पूछा गया कि अगर कर्मचारी संगठन अपनी मांगों पर अड़े रहते हैं तो क्या होगा, इस पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया — “सरकार पूरी तरह तैयार है। जनता को बिजली की कोई समस्या नहीं होने दी जाएगी। यदि कर्मचारी पीछे नहीं हटते तो उन्हें परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
क्या यूपी में बिजली दरें बढ़ेंगी?
इस सवाल पर भी बिजली मंत्री ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “आप खुद सोचिए कि पिछले पांच वर्षों में क्या कोई चीज़ ऐसी है जिसकी कीमत न बढ़ी हो? उत्तर प्रदेश में पिछले पांच सालों से बिजली दरें स्थिर हैं।”
हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि दरें बढ़ाने को लेकर कोई निर्णय लिया गया तो वह उपभोक्ता के हित को ध्यान में रखकर ही लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 30% तक की दर वृद्धि की खबरें निराधार हैं।
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग से जुड़ा यह मामला गंभीर रूप लेता जा रहा है। एक ओर कर्मचारी संगठन निजीकरण के विरोध में लामबंद हैं, वहीं सरकार आम जनता की सुविधा को लेकर सख्त नजर आ रही है। अब देखना यह होगा कि 29 मई के बाद प्रदेश की बिजली व्यवस्था किस दिशा में जाती है।