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November 24, 2024 7:36 am

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संविदा कर्मियों का बुरा हाल, सरकार की नीतियों पर उठे सवाल, 👇वीडियो

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गैहरु पावर हाउस में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए सरकार की गलत नीतियाँ और अधिकारियों की मनमानी अब किसी अभिशाप से कम नहीं है। लगभग 8 से 10 वर्षों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे इन संविदा कर्मियों को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया गया है। इस अचानक फैसले से न केवल ये कर्मचारी बल्कि इनके परिवार भी भयंकर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

विकलांग कर्मचारियों की अनदेखी

विशेष तौर पर उन कर्मचारियों के लिए यह स्थिति बेहद दर्दनाक है जो नौकरी के दौरान विकलांग हो गए थे। अपनी ईमानदारी और मेहनत से वर्षों तक सेवा देने के बाद भी इन कर्मियों को केवल निराशा ही हाथ लगी। पावर हाउस में एक हादसे के दौरान विकलांग हुए कई कर्मचारियों को अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा और उनके बच्चों की देखभाल की भी जिम्मेदारी विभाग की होगी। लेकिन आज वही अधिकारी अपने वादों से मुकर गए हैं।

नौकरी से निकाले गए 26 संविदा कर्मी

सूत्रों के अनुसार, आज दिनांक 13 नवंबर 2024 को, गैहरु पावर हाउस में संविदा पर कार्यरत 26 कर्मचारियों को बिना किसी भुगतान के नौकरी से निकाल दिया गया है। नए टेंडर जारी कर इन पुराने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस निर्णय से नाराज संविदा कर्मियों ने लखनऊ में पत्रकारों के सामने अपनी व्यथा व्यक्त की। इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने वर्षों तक अपनी मेहनत और लगन से कार्य किया, लेकिन सरकार और अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण उन्हें बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

पीड़ित परिवारों की पीड़ा

बेरोजगार हुए कर्मचारियों ने रोते हुए बताया कि उनके पास अब जीवन यापन का कोई साधन नहीं बचा है। विकलांग कर्मियों का कहना है कि इस स्थिति में उन्हें कोई अन्य नौकरी पर नहीं रखेगा। उन्होंने अधिकारियों पर धोखाधड़ी और वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि जो वादे हादसे के समय किए गए थे, वे केवल खोखले साबित हुए हैं।

सरकार और अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश

योगी सरकार की नीतियों और अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ अब इन कर्मियों ने अपनी आवाज बुलंद कर दी है। सभी पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। इन कर्मियों का कहना है कि सरकार की लापरवाही और अधिकारियों की मनमानी ने उनके जीवन को अंधकारमय बना दिया है।

अब सवाल उठता है कि क्या योगी सरकार इन पीड़ित परिवारों को न्याय दिला पाएगी? क्या इन कर्मचारियों को उनके हक का वेतन और नौकरी वापस मिल पाएगी? यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि सरकार इन गरीब और असहाय परिवारों की सुनवाई करती है या नहीं।

(यह समाचार संवाददाता की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया है, जो सरकार की नीतियों और अधिकारियों के रवैये पर गहरी चिंता प्रकट करता है।)

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