संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट (मानिकपुर)। मानिकपुर ब्लॉक में तैनात लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता संदीप कुमार पर मनमानी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, वह ग्राम प्रधानों और सचिवों के साथ मिलकर निर्माण कार्यों के फर्जी व बढ़ा-चढ़ाकर स्टीमेट तैयार करा रहे हैं और उन्हीं के आधार पर माप पुस्तिकाएं बनवाकर गलत तरीके से भुगतान करवा रहे हैं। इससे सरकारी धन की भारी बर्बादी हो रही है और विकास कार्यों की गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे हैं।
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कंसल्टिंग इंजीनियरों की अनदेखी
राज्य वित्त और पंद्रहवें वित्त आयोग की निधि से ग्राम पंचायतों में कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शासन ने कंसल्टिंग इंजीनियरों की नियुक्ति की थी। इन इंजीनियरों का कार्य था कि वे सभी विकास कार्यों की तकनीकी जांच और निरीक्षण कर शासन को सही रिपोर्ट दें। लेकिन अवर अभियंता संदीप कुमार ने शासन के निर्देशों की अवहेलना करते हुए खुद ही माप पुस्तिकाएं तैयार करवा लीं। इससे न केवल पारदर्शिता प्रभावित हो रही है बल्कि कंसल्टिंग इंजीनियरों की भूमिका भी नगण्य बना दी गई है।
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भ्रष्टाचार की जड़ में मिलीभगत
ग्राम पंचायत भौंरी, कोठिलिहाई, ब्यूर और बघौड़ा जैसे गांवों में राज्य वित्त निधि से कराए जा रहे निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के स्पष्ट संकेत मिले हैं। खासकर भौंरी के बीरू राम का पुरवा में बनाए जा रहे नाले का कार्य अधूरा है, फिर भी इसमें रनिंग पेमेंट कर दिया गया है। मौके पर जाकर देखने पर पता चलता है कि नाले की गहराई और चौड़ाई दोनों ही निर्धारित मानकों से कम हैं, जिससे इसकी उपयोगिता पर सवाल उठता है। ऐसे में आशंका है कि कार्य पूर्ण दिखाकर सरकारी धन की हेराफेरी की गई है।
कंसल्टिंग इंजीनियर हो रहे नजरअंदाज
कंसल्टिंग इंजीनियर, जिन्हें शासन ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है, उन्हें ना तो कार्यों की जानकारी समय पर दी जाती है और ना ही उन्हें उनके पारिश्रमिक का भुगतान किया जा रहा है। दूसरी ओर, अवर अभियंता संदीप कुमार खुद ही योजनाओं की माप पुस्तिकाएं बना रहे हैं और ग्राम प्रधानों से सांठगांठ कर शासन की निधि का मनमाना उपयोग करवा रहे हैं। यह पूरी प्रक्रिया नियमों और नैतिकता के विरुद्ध है।
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अनुभवहीन अभियंता पर क्यों है अतिरिक्त जिम्मेदारी?
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि संदीप कुमार जैसे नवागत और अनुभवहीन अभियंता को न केवल ब्लॉक में तैनाती दी गई है, बल्कि उन्हें स्टोर इंचार्ज और चेक डैम, तालाब गहरीकरण, कुएं निर्माण जैसी योजनाओं की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। यह सवाल उठता है कि क्या ये नियुक्तियां योग्यता के आधार पर हुई हैं या फिर इसके पीछे कोई अंदरूनी साठगांठ है?
अब ज़िम्मेदारी प्रशासन की
मानिकपुर ब्लॉक में लघु सिंचाई विभाग के कार्यों में फैली अव्यवस्था, मनमानी और भ्रष्टाचार की तस्वीर सामने आ चुकी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन और लघु सिंचाई विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेते हैं। क्या इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी या फिर यह मामला भी अन्य की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा? इसके साथ ही यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि कंसल्टिंग इंजीनियरों के अधिकारों की बहाली होगी या नहीं।