
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। दबंगों ने नाई से थूक चटवाया और एक स्कूल ड्राइवर को जातिसूचक शब्दों के साथ बेरहमी से पीटा। जानिए पूरी घटना और पुलिस की कार्रवाई।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में दो दिल दहला देने वाली घटनाओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। जीयनपुर कोतवाली क्षेत्र के सुखपुर मसोना गांव में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है, जहां दबंगों ने एक अधेड़ नाई को न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि उसे थूक चटवाने जैसे अमानवीय कृत्य के लिए मजबूर कर दिया।
जबरन दुकान से उठाकर ले गए दबंग
पीड़ित अब्दुल मन्नान, जो पेशे से नाई हैं, ने पुलिस को दी तहरीर में बताया कि कुछ दबंग युवक उसे दुकान से यह कहकर उठाकर ले गए कि उसके बेटे ने उनका पैसा नहीं लौटाया है। मन्नान ने बार-बार अपना पक्ष रखा, लेकिन दबंगों ने उसकी एक न सुनी। उन्होंने लाठी-डंडों से पीट-पीटकर उसे अधमरा कर दिया और फिर उसे थूक चाटने को मजबूर किया। यह घटना न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि समाज की गिरती संवेदनाओं को भी दर्शाती है।
दूसरी घटना में स्कूल ड्राइवर बना निशाना
वहीं, दूसरी ओर एक निजी विद्यालय में वाहन चालक के रूप में कार्यरत विजय प्रताप के साथ भी बर्बरता की गई। जब वह बच्चों को छोड़कर लौट रहे थे, तभी रास्ते में गोवर्धन यादव नामक व्यक्ति ने उनकी गाड़ी रोक ली। इसके बाद न सिर्फ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया गया, बल्कि डंडों से उसकी बेरहमी से पिटाई भी की गई। विजय को जान से मारने की धमकी दी गई।
वीडियो वायरल होने के बाद जागा प्रशासन
इन दोनों घटनाओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी। जीयनपुर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों मामलों में SC/ST एक्ट और मारपीट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। फिलहाल मुख्य आरोपी की तलाश की जा रही है।
बदले की भावना से हुआ हमला?
अब्दुल मन्नान ने यह भी आरोप लगाया कि वह पहले एक स्थानीय सैलून में काम करता था। नौकरी छोड़ने के बाद जब उसने अपना खुद का सैलून शुरू किया, तो पुराने सैलून मालिक ने ईर्ष्या और बदले की भावना से उस पर हमला करवाया।
निष्कर्ष के रूप में, यह घटना न केवल इंसानियत को शर्मसार करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि गरीब और दलित वर्ग आज भी निशाने पर हैं। सवाल उठता है कि क्या प्रशासन केवल वीडियो वायरल होने के बाद ही जागेगा? क्या न्याय केवल सोशल मीडिया पर शोर मचने के बाद मिलेगा?
उत्तर प्रदेश की यह घटना शासन-प्रशासन की संवेदनशीलता और तत्परता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है।