फर्जी प्रमोशन से 8 साल तक डिप्टी सीएमओ बना रहा डॉक्टर, जानिए पूरी कहानी

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चंदौली जनपद में स्वास्थ्य विभाग में खुला बड़ा घोटाला। लेवल वन के डॉक्टर ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए 8 साल तक डिप्टी सीएमओ का पद संभाला। शासन ने जांच के दिए आदेश।

चंदौली। उत्तर प्रदेश के चंदौली जनपद से स्वास्थ्य विभाग में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां लेवल वन के एक डॉक्टर ने धोखे से लेवल 3 का प्रमोशन लेकर पिछले 8 वर्षों तक डिप्टी सीएमओ के पद पर कार्य करते हुए शासन का लाभ उठाया। जैसे ही यह मामला न्यायालय की चौखट पर पहुंचा, वैसे ही पूरे चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया।

दरअसल, डॉ. जे.पी. गुप्ता नामक एक चिकित्सक, जो पूर्व में धानापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे, ने वर्ष 2016 में प्रमोशन के लिए आवेदन किया। आवेदन में पिता के नाम की जानकारी को जानबूझकर छिपाया गया और वरिष्ठता सूची में स्वयं को उच्च स्थान पर दिखाते हुए लेवल 3 का पद प्राप्त कर लिया।

असली हकदार को न्यायालय से मिला सहारा

इसी नाम के एक अन्य डॉक्टर, जो प्रमोशन के असली हकदार थे, जब इस निर्णय से वंचित हुए तो उन्होंने मामले को न्यायालय में चुनौती दी। न्यायिक हस्तक्षेप के बाद शासन ने जांच के आदेश दिए और जांच में चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया।

फर्जी प्रमोशन का खेल उजागर

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि डॉ. जे.पी. गुप्ता ने न केवल प्रमोशन में धोखाधड़ी की, बल्कि अपने पिता का नाम भी प्रमोशन के बाद बदलवाकर दस्तावेजों में छेड़छाड़ की। आठ वर्षों से वह डिप्टी सीएमओ बनकर प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे थे।

विभाग में मचा हड़कंप

जैसे ही शासन ने मामले में स्पष्टीकरण मांगा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में अफरा-तफरी मच गई। डिप्टी सीएमओ के पद पर काबिज डॉ. गुप्ता ने अंततः अपनी गलती स्वीकार की और यह तर्क दिया कि नाम की समानता के कारण उनसे अनजाने में गलती हो गई।

जांच के घेरे में आया सीएमओ कार्यालय

सूत्रों की मानें तो चंदौली मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में इससे पहले भी कई अनियमितताओं की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। इस मामले ने विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. युगल किशोर राय ने बताया कि प्रमोशन में अनियमितता की सूचना मिली है और जांच जारी है। शासन के निर्देश पर इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग जैसे जिम्मेदार संस्थान में इस तरह की लापरवाही और फर्जीवाड़ा न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि योग्य अधिकारियों के हक कैसे छीने जाते हैं। आवश्यकता है कि ऐसे मामलों पर त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में कोई अन्य व्यक्ति इस प्रकार की धोखाधड़ी करने का साहस न कर सके।

➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

samachardarpan24
Author: samachardarpan24

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