दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
चंदौली में कन्हैया यादव के घर में सैयद राजा थानाध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने पुलिस टीम के साथ दबिश दी। इस दौरान कन्हैया की बड़ी बेटी निशा यादव उर्फ गुड़िया की जान चली गई। निशा की मौत के बाद उसके परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।
मां चंदा देवी, पिता कन्हैया, चार भाइयों और छोटी बहन के आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं। सभी ने एक ही मांग की कि दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो और हर हाल में उन्हें न्याय मिले।
सब ठीक रहता, तो जून में शादी करते
निशा के भाई विजय यादव ने बताया कि हम चार भाई और दो बहन थे। निशा हम 6 भाई-बहन में चौथे नंबर की थी। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर चुकी निशा की इसी साल जून में शादी होनी थी। शादी की बात चंदौली जिले में ही लगभग तय थी। सब कुछ ठीक रहता, तो उसका ब्याह कर हम एक बहन के प्रति अपनी जिम्मेदारी से खाली हो जाते।
मगर, हमें नहीं पता था कि मां-बाप और हम भाइयों के बिना घर में पुलिस छापा मार कर हमारी बहन को पीट-पीट कर मार डालेगी। विजय ने कहा कि पुलिस जो चाहे कह ले, लेकिन बहन के शरीर में जगह-जगह बेल्ट से पीटने के निशान थे। ऐसा लगता है, जैसे कि उसे बेल्ट से जमकर पीटने के बाद उसका गला दबाया गया। उसी दौरान उसकी जान चली गई।
बहन हम सभी का बहुत ध्यान रखती थी
विजय ने कहा कि निशा बहुत जिम्मेदार थी। वह अपने सभी भाई-बहनों का एक बराबर ख्याल रखती थी। मां-बाप दो-ढाई महीने से घर पर नहीं थे। तब भी निशा ने कभी खाना-नाश्ता को लेकर कोई दिक्कत नहीं होने दी। मां-बाप का भी वह रोजाना हालचाल लेकर कहती थी कि आप लोग अच्छे से रहें। किसी तरह की तकलीफ न महसूस करें। जल्द सब कुछ अच्छा हो जाएगा।
विजय ने रोते हुए कहा कि कल शाम तक हमारे घर में सब कुछ सामान्य था। मगर, अचानक मनहूस खबर मिली कि हमारी बहन इस दुनिया में नहीं है। इस पर हमारे पैर के नीचे की जमीन ही खिसक गई। हमें समझ में ही नहीं आया कि क्या से क्या हो गया? अब क्या कहें और क्या बताएं? शायद हमारी किस्मत में बहन निशा का साथ यहीं तक लिखा था।
विजय ने बताया कि हमें शनिवार से ही सैयद राजा थाने में बैठाया गया था। क्यों बैठाया गया था, यह हम नहीं जानते। रविवार को पुलिस ने शांतिभंग के आरोप में हमारा चालान किया। इस पर भाई विशाल यादव ने हमारी जमानत कराई। हमारे परिवार पर पुलिस का अत्याचार दो-ढाई महीने से कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है।
अगर पिता सैयद राजा थाना पुलिस की बात मान कर बालू के धंधे के लिए उन्हें हर महीने पैसा देना शुरू कर देते, तो शायद परिवार इस ज्यादती का शिकार न होता। खैर, अब बहन तो रही नहीं। मगर, उसे न्याय दिलाने के लिए हम लड़ेंगे। जिन पुलिस वालों ने पीट-पीट कर उसकी जान ली है, उन्हें हर हाल में कड़ी से कड़ी सजा दिलाएंगे।
मां बोली- हमसे का गलती हुई हे भगवान
बड़ी बेटी की मौत और छोटी बेटी के गंभीर रूप से घायल होने की घटना के बाद मां चंदा देवी बेसुध है। वह कभी मंदिर में बैठ कर भगवान से प्रार्थना कर रही है। तो कभी ढांढस बंधाने आई महिलाओं से पूछ रही हैं कि हमसे का गलती हुई हे भगवान…। चंदा देवी ने कहा कि हमारी बच्ची तो अपने आप और घर-परिवार के अलावा किसी से मतलब ही नहीं रखती थी। फिर, पुलिस वालों ने उसे क्यों मार डाला…? आखिर, उसने क्या गलती की थी…?
कहां तो सोचा था कि बेटी को लाल जोड़े में ससुराल विदा करेंगे और कहां यह दिन देखना पड़ रहा है। इससे अच्छा होता कि हम खुद मर जाते। चंदा का बिलखना देख उन्हें ढांढस बंधाने आई महिलाओं की हिम्मत भी जवाब दे जा रही थी।
दीदी को गालियां दी, और 4 से 5 पुलिसवाले मारते ही रहे
मृतका की बहन ने रो-रोकर बताया, ‘दरवाजा तोड़कर घर में 10-12 पुलिसवाले घुस आए। लेडीज पुलिस थी, एक पतला सा पुलिस वाला था, हम लोगों को मारना शुरू कर दिया। हम लोगों ने कहा छोड़ दो हम लोगों का पेपर है, क्यों हमारे पापा की इज्जत के पीछे पड़े हो? पापा को अपशब्द कहते हुए हम लोगों को गालियां देने लगे, और हमको बहुत मारा। मारते हुए कह रहे थे कि तुम लोग गुंडे की लड़की हो, गुंडागर्दी करती हो, गंदी लड़की हो। हम लोग गिड़गिड़ाते रहे कि मत मारिए। हम छत पर भागे, दीदी यहां पर थी।’
मुझे ले जाते, मेरी बहन को मार डाला
मृतका के भाई बताते हैं, ‘घर में सिर्फ लेडीज थीं, फिर भी पुलिस वापस नहीं गई। अगर मुझे या पापा को लेने आई थी, तो बाद में आ जाती। बहन ने मुझे बताया कि दीदी को कितनी बुरी तरह से मारा। मरने के बाद उसे पंखे से बांध दिया। उसका एग्जाम था, फिर भी मारते रहे। मेरा परिवार सदमे से उबर नहीं पा रहा है।’
पिता ने कहा- पुलिस झूठ बोल रही
लड़की के पिता कन्हैया गुमसुम हैं। वे ढांढस बंधाने आने वाले सभी से यही कह रहे हैं, ”वह 10 हजार का चढ़ावा थानेदार को चढ़ाते तो ऐसा अनर्थ नहीं होता…। ‘मगर, देते कहां से…5-7 हजार का ही तो मुनाफा होता है। दो-दो बेटियों की शादी भी करनी थी। हमें भला कौन पैसा देता और हम किससे उधार मांगते…?
अचानक उनके चेहरे पर गुस्से के भाव आते हैं। कहते हैं कि हमारी बेटी की हत्या की गई है। पुलिस मामले में सब कुछ झूठ बोल रही है। पुलिस मेरे घर आई और सीधे घर में घुस गई, दोनों बच्चियां घर में थीं। बड़ी बेटी को मारा, छोटी बेटी को कमरा बंद करके मारा। जब बड़ी बेटी बेसुध हो गई तो ये लोग उसको पंखे से बांधकर भाग गए। पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए’। यही हमारे लिए इंसाफ होगा।
मेरी बेटी का रेप नहीं हुआ है। हमने 302 में मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा है। हमने तहरीर कोतवाल, कांस्टेबल शमशेर और 4 महिला सिपाहियों के खिलाफ दिया है। प्रशासन ने अंतिम संस्कार के लिए दबाव बनाया। पूरे मामले का दोषी प्रशासन है। पुलिस वाले दोषी हैं तो उसको फांसी की सजा दी जाए। अभी मेरी बेटी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है, पुलिस सब कुछ अपनी तरफ से बोल रही है।”
‘मैं कन्हैया यादव सैयदराजा के मनराजपुर गांव का रहने वाला हूं। मेरा गांव सैयदराजा से जमानिया जाने वाले रास्ते पर बाई तरफ है। लगभग डेढ़ साल से छोटे पैमाने पर मैं सोन नदी का लाल बालू बेचता आ रहा हूं। इससे पहले ट्रक चलवाता था। मेरे खिलाफ बिजली चोरी का मुकदमा एक बार दर्ज हुआ था। उसी आधार पर पुलिस ने गुंडा एक्ट की कार्रवाई कर दी थी। विधानसभा चुनाव आया तो पुलिस ने गुंडा एक्ट के आधार पर जिलाबदर कर दिया। इसके बाद से मैं अपनी पत्नी चंदा देवी के साथ बनारस में किराये पर कमरा लेकर रहने लगा। बस इतना ही मेरा कसूर है।
तकरीबन ढाई महीने पहले सैयदराजा के प्रभारी निरीक्षक उदय प्रताप सिंह ने हमारे एक खाली ट्रक और ट्रैक्टर को पकड़ा था। उन्हें छोड़ने के लिए 20 हजार उन्होंने मांगे थे। हमने नहीं दिए। इस पर उदय प्रताप नाराज थे। हमें धमका रहे थे। मजबूर होकर किसी तरह से उन्हें 20 हजार रुपए दिए तो ट्रक और ट्रैक्टर छूटा। फिर, कोतवाल उदय प्रताप सिंह ने कहा कि बालू का धंधा करना है तो हर महीने 10 हजार देने होंगे।
उन्होंने बेटी को इतना पीटा कि बड़ी बेटी की मौत हो गई, छोटी का इलाज चल रहा है
हमने कहा कि जब हमारे सभी कागज सही हैं तो हम पैसा क्यों दें…? इस बात का उदय प्रताप सिंह बुरा मान गए। उन्होंने कहा कि तुम्हे सबक सिखाएंगे। बताएंगे कि कैसे हमारे क्षेत्र में बालू का धंधा करते हो? वह जानते थे कि जिलाबदर की कार्रवाई के बाद हम अपने घर पर नहीं रहते हैं। लेकिन उन्होंने मेरे बच्चों और परिवार को परेशान करने के लिए हमारे यहां जानबूझकर दबिश दी। इस दौरान घर पर हमारी दो बेटियां मिलीं। तो उन्होंने उन्हें जमकर पीटा और अत्याचार किया। बड़ी बेटी की मौत हो गई है। छोटी बेटी गंभीर घायल होकर जिला अस्पताल पहुंच गई है।
हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि मेरे परिवार के साथ अन्याय करने वालों के साथ कानून सही तरीके से अपना काम करे। हमने जो खो दिया है, उसकी भरपाई अब कोई नहीं कर सकता है। कानून के रक्षकों से ऐसी उम्मीद नहीं थी। हमारा परिवार उजड़ गया है। ऐसा अनर्थ क्यों हुआ। ये हमारी समझ से परे है। पुलिस वालों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई हो। हमारी बेटी को और हमें न्याय मिले।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."