परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने लंबे समय से फरार चल रहे कुख्यात सीरियल किलर चंद्रकांत झा को गिरफ्तार कर लिया है। ‘दिल्ली का कसाई’ नाम से कुख्यात झा ने 1998 से 2007 के बीच अपनी वीभत्स हत्याओं से राजधानी में आतंक मचा दिया था। नेटफ्लिक्स ने भी इस खौफनाक अपराधी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘इंडियन प्रिडेटर: द बुचर ऑफ दिल्ली’ बनाई है। गिरफ्तारी से पहले वह एक साल से फरार था और पुलिस ने उस पर 50,000 रुपये का इनाम रखा था।
चंद्रकांत झा पहले से ही तीन हत्याओं के मामलों में दोषी ठहराया जा चुका था और उम्रकैद की सजा काट रहा था। लेकिन अगस्त 2023 में पैरोल पर छूटने के बाद वह फरार हो गया था। पुलिस ने उसे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बिहार भागने की कोशिश करते समय धर दबोचा।
युवाओं को बनाता था शिकार
चंद्रकांत झा का शिकार करने का तरीका बेहद चौंकाने वाला था। वह खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार से काम की तलाश में दिल्ली आए युवाओं को अपना निशाना बनाता था। पहले वह उनसे दोस्ती करता, उन्हें खाना और रहने की जगह देता और फिर छोटी-छोटी बातों पर बेरहमी से उनकी हत्या कर देता।
हत्या के बाद वह शव के टुकड़े करता और उन्हें दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में फेंक देता। इतना ही नहीं, वह शवों के पास एक नोट छोड़ता था, जिसमें लिखा होता था—“तुम्हारा बाप+जीजाजी। सी.सी।”
18 से अधिक हत्याओं का आरोपी
रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रकांत झा ने 18 से अधिक हत्याएं कीं, हालांकि आधिकारिक तौर पर उस पर सात हत्याओं और छह अन्य अपराधों के मामले दर्ज हैं। उसकी क्रूरता इतनी भयानक थी कि लाशों को पहचानना तक मुश्किल हो जाता था। उसने कई बार तिहाड़ जेल के आसपास शवों को फेंक कर पुलिस को खुली चुनौती दी थी।
चंद्रकांत झा का बचपन और अपराधों की शुरुआत
1967 में बिहार के घोसाई गांव में जन्मे चंद्रकांत झा का बचपन परेशानियों से भरा था। उसकी मां एक स्कूल शिक्षिका थीं, लेकिन झा को लगा कि उसकी मां ने उसे नजरअंदाज कर अपने पेशे को ज्यादा महत्व दिया। इसी निराशा के चलते उसने गांव छोड़ने और दिल्ली जाकर नौकरी तलाशने का फैसला किया।
1990 में वह दिल्ली आया और आजादपुर मंडी में सब्जी बेचने का काम करने लगा। यहां उसके स्वभाव में हिंसा दिखने लगी। एक झगड़े में उसने साथी सब्जी विक्रेता पंडित पर हमला किया। यह उसका पहला बड़ा अपराध था।
पंडित से बदला लेने के लिए झा ने उसका भरोसा जीतने का नाटक किया और बाद में उसकी हत्या कर दी। पंडित का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला, लेकिन सिर गायब था। यह मामला अनसुलझा रह गया।
हत्या के बाद जेल और रिहाई
1998 में चंद्रकांत झा अपनी पहली हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुआ। उसे 2002 तक जेल में रखा गया, लेकिन सबूतों की कमी के कारण रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर आने के बाद उसने अपराधों का सिलसिला तेज कर दिया और एक के बाद एक हत्याएं करता चला गया।
2013 में उसे तीन मामलों में दोषी करार दिया गया और फांसी की सजा सुनाई गई। हालांकि, बाद में यह सजा उम्रकैद में बदल दी गई।
गिरफ्तारी के बाद भी सवाल कायम
चंद्रकांत झा की गिरफ्तारी से दिल्ली पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है, लेकिन उसकी हत्याओं और क्रूरता की कहानियां अब भी दिल दहला देती हैं। पुलिस और जनता के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस अपराधी को ऐसी वीभत्स मानसिकता तक पहुंचाने के पीछे क्या वजहें थीं?